रोहतक। सोनीपत जिले के खानपुर कलां में स्थित हरियाणा के इकलौते महिला मेडीकल कॉलेज ‘बीपीएस राजकीय महिला मेडीकल कॉलेज’ के कार्यवाहक निदेशक एपीएस बत्रा खुद को राज्य सरकार से भी ऊपर मानते हैं । शायद वह समझते हैं कि निदेशक बनने के बाद वे इस संस्थान की चारदीवारी के भीतर एक बेताज बादशाह बन गये हैं और जैसे चाहें वैसे नियम कायदों को तोड़ मरोड़ कर कोई भी निजी हित साध सकते हैं ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में संस्थान के कार्यवाहक निदेशक का पदभार संभालते ही डा. एपीएस बत्रा ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है , जिससे उनकी खुद की प्रशासनिक साख और ईमानदारी पर सवाल उठने लगे हैं । उन्होंने धोखाधड़ी और जालसाजी करके बोगस सर्टिफिकेट्स के आधार पर नौकरी हासिल करने के आरोप में निलंबित चल रहे अपने दो खासमखास चहेते कर्मचारियों को एक झटके में बहाल करके बखेड़ा खड़ा कर दिया है ।

गौरतलब है कि इस संस्थान में अकाऊंटैंट और सीनियर टैक्नीशियन के पद पर कार्यरत गांव बैयापुर के दो सगे भाइयों क्रमश: सतपाल सिंह और वेद सिंह के सर्टिफिकेट्स में कई गड़बड़ियां पाई गईं थी और उन्हें वर्ष 2017 में नौकरी से निलंबित कर दिया गया था । विभागीय जांच में इनके सर्टिफिकेट्स बोगस व फर्जी करार दिये गये थे । संस्थान के तत्कालीन निदेशक ने इनके सर्टिफिकेट्स की राज्य चौकसी ब्यूरो ( स्टेट विजीलैंस ब्यूरो ) से छानबीन कराये जाने की सिफारिश की थी ।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक अकाऊंटैंट के पद पर कार्यरत सतपाल सिंह सरोहा ने नौकरी ज्वाइन करते समय अपना दसवीं का जो सर्टिफिकेट पेश किया , वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एआईओएस) का है । इस सर्टिफिकेट (अनुक्रमांक 05H932452) में सतपाल सरोहा के पिता  का नाम राजेंद्र सिंह दर्ज है , जबकि मां का नाम रोशनी देवी लिखा है । सर्टिफिकेट में जन्मतिथि 04/05/1986 दर्ज है जबकि सतपाल द्वारा मार्च 1998 में दी गई हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड भिवानी की परीक्षा में उसकी माता का नाम बीरमती दिखाया गया है तथा जन्मतिथि 03/05/1980 दर्शायी गई है । इस परीक्षा में सतपाल का अनुक्रमांक 754216 था और वह दो पेपरों में फेल हो गया था । मजॉ की बात यह हे कि सोनीपत के जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र कार्यालय के रिकार्ड से हासिल पुख्ता जानकारी में सतपाल सरोहा की जन्मतिथि 04/05/1980 मिली है और उसकी मां का नाम बीराजंती दर्शाया गया है । आरटीआई के तहत जिला सोनीपत के निर्वाचन कार्यालय से मांगी गई सूचना के मुताबिक सतपाल सरोहा वोटर आईडी कार्ड नं BLB 1968593 में पिता का नाम राजेंद्र सिंह , मां का नाम बीरमती तथा जन्मतिथि 03/05/1980 दर्ज है । साफ है कि एनआईओस का सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की गई है । उसमें मां का नाम रोशनी बताया गया है तथा उम्र भी छह वर्ष कम कर दी गई है ।

यह तो बात रही बड़े भाई सतपाल सरोहा की , जो कि सर्टिफिकेट में बदलाव कर छोटा भाई बन गया है । लेकिन असल में छोटे और धोखाधड़ी में अब बड़े बन गये भाई वेदपाल सिंह की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं हे । यह महाशय महिला मेडीकल कॉलेज में सीनियर टैक्नीशियन (रेफ्रीजरेशन) के पद पर भर्ती हुए थे । वेदपाल सिंह के जन्म प्रमाणपत्र में उसकी जन्मतिथि 13/01/1982 दर्ज है तथा मां का नाम बीरमती लिखा हुआ है जबकि हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड भिवानी के दसवीं के सर्टिफिकेट में इनकी उम्र एक साल कम यानि 13/01/1983 दर्ज है । वेद सिंह ने राजस्थान के उदयपुर में चल रही डीम्ड यूनिवर्सिटी ‘जेआरएम राजस्थान विद्यापीठ’ से कोर्स सर्टिफिकेट पेश किया था । यह डीम्ड यूनिवर्सिटी डिस्टैंस मोड में  डिप्लोमा देती है । डिस्टैंस मोड का कोई भी डिप्लोमा या सर्टिफिकेट हरियाणा टेक्नीकल एजूकेशन विभाग से मान्य नहीं है । इस तरह इस महाशय की नियुक्ति भी संदेहास्पद है । बताया जाता है कि इन दोनों भाइयों की नियुक्ति में भी डा. एपीएस बत्रा का हाथ रहा है और वे इनके गैरकानूनी हितों को संरक्षण देते रहे हैं ।

हैरानी की बात यह है कि राज्य के मेडीकल एजूकेशन एंड रिसर्च डिपार्टमैंट के अतिरिक्त चीफ सेक्रेटरी ने दिनांक 07/06/2017 के पत्र क्रमांक 14/23/2017-4 HB-IV के तहत महिला मेडीकल कॉलेज के निदेशक को निर्देश दिया गया था कि चूंकि मेडीकल कॉलेज के निदेशक यह निर्णय कर पाने में समर्थ नहीं हैं कि सतपाल सिंह और वेद सिंह के सर्टिफिकेट्स बोगस हैं या असली , इसलिए राज्य चौकसी ब्यूरो की विस्तृत रिपोर्ट आने तक दोनों कर्मचारियों को बहाल न किया जाए और निलंबित ही रहने दिया जाए , लेकिन कार्यवाहक निदेशक डा. एपीएस बत्रा ने चार्ज संभालते ही सरकार के निर्देशों को ताक पर रख कर दोनों भाईयों क बहाल कर दिया ।

इस संबंध में सोनीपत के रहने वाले सत्यनारायण सैनी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बाकायदा पत्र लिख कर मांग की हे कि सरकार के निर्देश की धज्जियां उड़ा कर दोनों कर्मचारियों के बहाल करने वाले डा. एपीएस बत्रा के खिलाफ फौरन अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिये । डा. एपीएस बत्रा ने न केवल अपने पद का दुरूपयोग किया है बल्कि दोनों कर्मचारियों से घूस खाकर नौकरी से उनका निलंबन रद्द किया है । सैनी ने दोनों कर्मचारियों के खिलाफ भी सरकार के साथ धोखाधड़ी और जालसाजी करने के मामले में गिरफ्तार करने की मांग की है ।

*सर्वदमन सांगवान@9812024027

*साभार – गरिमा टाइम्स