इटावा। पहले पेट्रोल, फिर एलपीजी गैस, फिर आटा और अब जरूरी दवाइयों के दाम आसमान छू रहे हैं। आम आदमी हो या अस्पताल के पलंग पर अपनी सांसों से लड़ता हुआ बीमार मरीज। इन सब के ऊपर महंगाई का बोझ इतना बढ़ा है कि न सिर्फ उसका कांधा और कमर बल्कि उसका आत्मविश्वास और उम्मीद भी महंगाई के इस बोझ तले दब गई है।
जी हां देश में अब सामान्य बीमारी से भी जान बचाना भी महंगा हो गया है। इंफ्लुएंजा और मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे मरीजों पर दवा कंपनियों ने भी दोहरी मार की है। जुकाम, बुखार, खांसी के मरीजों में हो रही बढ़ोतरी के बीच इनकी दवाएं 20 फीसदी तक महंगी हो गई हैं। एंटीबायोटिक, एलर्जी, इन्हेलर, इंसुलिन तक के दाम बढ़ गए हैं। हाल यह है कि बच्चों के डिब्बा बंद दूध तक महंगा हुआ है। कंपनी ने डायपर्स के दाम बढ़ाने की जगह पैकेट में इनकी संख्या में कटौती की है।
महंगाई में हो रही बढ़ोतरी से हर वर्ग बेहाल है। अब दवा कंपनियों ने भी कीमतें बढ़ाकर जोर का झटका दिया है। बुखार व दर्द में इस्तेमाल होने वाली जीरोडॉल-एसपी की 10 गोलियों की कीमत 107 रुपये से बढ़कर 118 रुपये हो गई है। जीरोडॉल -पी की कीमत भी 60 से 66 रुपये हो गई है। इसी तरह गुडसेफ टेबलेट की कीमत भी 145 से बढ़कर 164 रुपये हो गई है। खांसी के सीरप के दामों में इजाफा हुआ है। दर्द में काम आने वाला पीपजो इंजेक्शन 260 से बढ़कर 305 रुपये का हो गया है। करीब एक माह पहले जो दवा 100 रुपये में मिल जाती थीं उनके लिए अब 120 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं।
दवा दुकानदारों का कहना है कि अधिकतर दवाओं की कीमतें बढ़ी हैं। इससे जाहिर है कि आम आदमी को परेशानी होगी। कुछ दवाओं की एमआरपी तो नहीं बढ़ाई गई है लेकिन मुनाफा में कटौती कर दी गई है। बताया कि इस समय मौसम में तब्दील हो रही है। सुबह और शाम ठंड महसूस होती है। जबकि दोपहर में तेज धूप के कारण गर्मी हो रही है। ऐसे में बुखार, खांसी, जुकाम और पेट संबंधी रोग बढ़ रहे हैं। ऐसे में इन बीमारियों से जुड़ी दवाओं की मांग भी ज्यादा है।
इसी के साथ बच्चों के लिए डिब्बा बंद दूध के दाम भी बढ़े हैं। लैक्टोजेन-1 की कीमत 380 से बढ़कर 430 रुपये हो गई है। कंप्लान पाउडर भी 305 से बढ़कर 335 रुपये का हो गया है। इसी तरह बॉर्नबीटा भी 228 रुपये से बढ़कर 245 रुपये का 500 ग्राम हो गया है। वहीँ डायपर्स बनाने वाली एक कंपनी ने कीमतों में तो इजाफा नहीं किया है लेकिन पैकेट में इसकी संख्या कम कर दी है। पहले 399 रुपये में एस साइज के 46 पीस मिलते थे जो अब 42 रह गए हैं। यानि चार पीस की कटौती कर दी गई है।
वहीँ दवाओं की कीमतें बढ़ने के साथ ही कुछ की कीमतें घटी भी हैं। एंटीबायोटिक टेबलेट आग्मेंटिन की 10 गोलियां पहले 223 रुपये की आती थीं जो अब 168 रुपये की हो गई हैं। डायबिटीज की मैटाफार्मिन की 10 टेबलेट पहले 140 रुपये की थीं जो अब 116 रुपये की हो गई हैं। सांस की बीमारी से जुड़ी एबी फाइलिन टेबलेट 159 से घटकर 149 की हो गई है। इसी तरह सिप्लॉक्स 500 की कीमत 45 से घटकर 42 रुपये हो गई है। ताकत से जुड़ी दवा डेक्सोरेंज 145 से घटकर 174 की हो गई है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. गीताराम का कहना है कि दवाओं की कीमतें बढ़ने या घटने से उनका कोई लेना-देना नहीं है। अगर दवा कंपनियों ने कीमतें बढ़ाई हैं तो जाहिर सी बात है कि मेडिकल स्टोर संचालक कीमतें बढ़ाकर देगा। कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ी हैं तो कुछ की कम भी हुई हैं। वहीँ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष अमिताभ श्रीवास्तव काफी समय के बाद दवाओं के दाम बढ़े हैं। देश में अन्य चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इसके अलावा कई सॉल्ट बाहर से मंगाए जाते हैं। अगर साल्ट महंगा मिलेगा तो दवा की कीमतें भी बढ़ेंगी। लेकिन जुकाम-बुखार और खांसी के सीजन में कीमतें बढ़ने से मरीजों पर बोझ बढ़ेगा।
इन दवाओं की कीमतों में हुआ इजाफा
दवा कीमत पहले अब
पैंटाप डीएसआर 112 140
मौक्सीकाइंड 160 171
लीव-52 130 190
ब्रोमिडेक्स सीरप 129 142
बेनाड्रिल सीरप 129 141
हेप्टाग्लोबिन सीरप 160 228
स्कीन लाइट ओएंटमेंट 230 255
सुफ्रामाइसिन 50 55
इलेक्ट्राल 19.85 21.95
ह्युमन मिसकार्ड 158 174
एरोकार्ट इनहेलर 248 273
रोटोकैप कैप्सुल 103 114
बुडिट्राल रोटोकैप 216 239
रिफ्रेस टियर्स आईड्राप 140 158
आईटोन 55 60