अम्बाला। कुछ समय से सुगबुगाहट मिल रही थी कि चीन से आने वाली दवाओं के रॉ मेटेरियल (कच्चे माल) के दामों में उछाल आने वाला है परंतु इतना उछाल आएगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। अब रॉ मेटेरियल के दामों में 50 से 80 पर्सेंट बढ़ोतरी हो गई है। कई दवाओं के कच्चे माल में 700 गुना का उछाल भी देखने को मिल रहा है। दवाओं के रॉ मेटेरियल का कारोबार करने वालों ने मेडिकेयर न्यूज़ से विचार सांझा करते हुए कहा कि यह साल अब तक का रिकॉर्ड उछाल है।
ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में रेट और बढ़ सकते हैं जिससे दवाओं के निर्माण के पश्चात रोगी तक पहुंचते हुए दवाओं के दाम में अप्रत्याशित उछाल आना स्वाभाविक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उछाल चाइना के बाजार पर पूर्णतया निर्भर करता है। यदि चाइना में दवाओं के कच्चे माल की किल्लत आती है तो उसका सीधा असर भारत में बड़े पैमाने पर दिखता है क्योंकि आज भारत में दवा निर्माता अधिकतर चाइना से दवाओं का कच्चा माल मंगवा कर उसे तैयार कर गोली कैप्सूल इंजेक्शन पाउडर का रूप देकर देश में उतारते हैं। दरअसल, चाइना को एकमात्र सस्ते माल का स्रोत मानकर जब दवा निर्माता कच्चा माल उठाते हैं और अपनी निर्भरता चाइना पर दर्शाते है तो ऐसे में चाइना अपनी मनमानी करने का मन बना लेता है। इससे वह भारत में अपने मनमाने दामों पर दवाओं के कच्चे माल को उपलब्ध करवा रोगियों के उपचार में अपने अस्तित्व का एहसास करवाता है कि मैं चाहे यह करूं या वह करूं, भारत के दवा निर्माताओं को मानना ही होगा।
फिलहाल चाइना से आने वाले माल के असर से बेखबर सरकार नित नए कानून बनाने पर व्यस्त है, जबकि विदेश नीति को ध्यान में रखते हुए भारत में रोगियों के स्वास्थ्य चिंतन में बाधा बन रहे चाइना की विदेश नीति पर केंद्र सरकार को अधिक ध्यान देना होगा । दवा निर्माताओं एवम रॉ मेटीरियल का व्यापार करने वालों ने बताया कि आने वाले 2-3 महीने अग्नि परीक्षा समान हो सकते हैं। इसके बाद ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद लग रही है परंतु यह भविष्य के गर्भ में है कि दवाओं का कच्चा माल सस्ता होगा या आमजन को महंगे इलाज के चलते बीमार होने से पहले अपनी जेब की तरफ देखना होगा या फिर सरकार कुछ सोचेगी।