कोलकाता। सांप के काटने के तुरंत बाद दवा देने पर भी रोगी को बचाया नहीं जा पा रहा है। माना जा रहा है कि इसके इलाज की दवा अपना असर नहीं दिखा पा रही है। सांप के काटने के मामले बढ़े हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बीते माह में सांप के काटने से कुल 52 मौत हुई हैं। वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2018 में कुल 381 लोगों की मौत हुई। जबकि गैर-सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 3000 लोगों की मौत सांप के काटने पर हुई है जिनमें मात्र 1000 मामले अकेले चंद्रबोड़ सांप के काटने से हुई मौत के हैं। सांप के काटने पर एंटीवेनम दवा असर भी नहीं कर रही है। पश्चिम मिदनापुर के डेबरा में रहने वाले नीरदवरण घोष (76) को चंद्रबोरा सांप ने काटा था। उसे सांप के काटने के एक घंटे के अंदर एंटीवेनम दवा देकर कोलकाता रैफर किया गया था। कोलकाता में इलाज चलने के बाद उसकी मौत हो गई। आरोप है कि दवा असर नहीं कर रही थी। इसके कारण उसकी मौत हुई है। हाल ही में बैरकपुर विज्ञान मंच के सांप विशेषज्ञ अनूप घोष की मौत सांप काटने से हुई थी। उन पर भी दवा का असर नहीं हुआ। इसके पीछे कारण है कि दवा इस राज्य में तैयार नहीं होती है। इसे दूसरे राज्य से मंगवाया जाता है। हर राज्य के वातावरण का असर उस पर होता है। ऐसे में वो दवा उन स्थानों पर अलग तरीके से असर करती है और राज्य में दवा का असर कम ही दिख रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि सांप के काटने पर 22 प्रतिशत लोग ही अस्पताल जाते हैं। सांप के काटने पर हुई मौत के बाद मृतक के परिजन पोस्टमार्टम करवाना नहीं चाहते। ऐसे में सही सरकारी आंकड़े तैयार नहीं हो पाते हैं।