मुम्बई /अम्बाला। एक बैठक के दौरान 26 सदस्यों के 1 लाख के गोलगप्पे  गटक जाने का मामला प्रकाश में आया है। जानकारी अनुसार आरडीसीए मुंबई की एक बैठक 2015 में संपन्न हुई, जिसमें करीब 26 लोग मौजूद थे। बैठक के बिलों पर जांच में पता चला कि एमएससीडीए को दस लाख रुपए देनेे, मंत्री फंड में एक लाख देने तथा बैठक में मौजूद 26 सदस्यों की भूख मिटाने के लिए पानी-पूरी यानी गोलगप्पे का बिल एक लाख रुपए डाला गया। आज तक मुख्यमंत्री रिलीफ फंड तथा प्रधानमंत्री रिलीफ फंड तो सबने सुना था परंतु मंत्री फंड पहली बार सुनने को मिला, जिसे बकायदा रजिस्टर में एंटर भी किया गया और बैलेंस शीट में भी दर्शाया गया। इस पर एतराज करते हुए वरिष्ठ सदस्य नदी जौहरी ने संस्था के सदन पटल पर लिखित जवाब मांगा कि एक लाख के पानी-पूरी 26 सदस्य कैसे हजम कर गए। वहीं, मंत्री फंड जो आज तक किसी ने नहीं सुना था, उसमें एक लाख दिए गए। एमएससीडीए जो राज्य स्तरीय सक्षम संगठन है उसको दस लाख रुपए दे दिए गए। बाद में इसका स्पष्टीकरण आया कि एमएससीडीए को एमएससीडीए लिमिटेड बनाने के लिए कुछ फंड्स की जरूरत थी, जो छोटी यूनिटों से उधार लिया गया जिसे बाद में वापस कर दिया जाएगा। इस बात पर पारदर्शिता होने का सबूत मिल गया। अत: दस लाख रुपए का मुद्दा एक तरफ रखकर मंत्री को दिए एक लाख तथा एक लाख की पानी-पुरी 26 सदस्यों के गले की फांस बन गए। मामला वर्ली पुलिस स्टेशन पहुंचा। एफआईआर दर्ज हुई और पदाधिकारियों को अपनी जमानत करवानी पड़ी। मामला आज भी न्यायालय में विचाराधीन है जिस पर शीघ्र ही निर्णय आने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि एमएससीडीए के प्रदेशाध्यक्ष जयशिंदे आमदार भी हैं। अपने पद की गरिमा को बनाए रखने में सरकार का वजन इस्तेमाल कर जांच को प्रभावी बना देते हैं। ऐसे में न्यायालय को निर्णय लेने में कुछ समय अवश्य लग सकता है। नदी जौहरी ने एक अन्य रहस्योद्घाटन किया कि आरडीसीए की एक बैठक 25 जुलाई 2019 को बिना एजेंडा साक्षर के बुलाई गई है। इसमें संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता कि सदस्यों के मन में आरडीसीए ऑफिस जिसकी कीमत करोड़ों रुपए की है, उसे बेचने पर अपने हस्ताक्षर सौंप दिए जाएं। ऐसे में मु_ी भर सदस्य संस्था के कार्यालय को मिलीभगत कर बेचने से संस्था को अत्यधिक नुकसान होगा। बकौल नदी जोहरी, उन्होंने राज्य सरकार को इस बारे एक पत्र लिखा कि इस संपत्ति को सभी सदस्यों के हस्ताक्षरोंं के पश्चात ही बेचने की अनुमति दी जाए। उल्लेखनीय है कि एक नदी जोहरी ने 26 सदस्यों के पानी पुरी के बिल एक लाख रुपए पर उंगली उठाकर सदस्यों का हाजमा खराब कर दिया, जो सराहनीय कदम भी है।