मुंबई। देसी दवा कंपनियों की दवा बाजार में भले ही 80 फीसदी हिस्सेदारी है, लेकिन जब अग्रणी दवा ब्रांडों की बात आती है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां काफी आगे दिखाई देती हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में बिकने वाली 10 अग्रणी दवा ब्रांडों में से सात बहुराष्ट्रीय कंपनियों की है। बिकने वाले अग्रणी ब्रांड डेनिश दवा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क की है, जो इंसुलिन ब्रांड मिक्सटार्ड है। इस दवा की बिक्री एमएटी सितंबर 2019 तक 539 करोड़ रुपये रही है। एमएटी का मतलब मूविंग एनुअल टर्नओवर या पिछले 12 महीनों की बिक्री से है। परिपक्व ब्रांड के तौर पर मिक्सटार्ड की रफ्तार सितंबर में 8.4 फीसदी रही। दूसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड मधुमेह की दवा लेंटस है, जिसे फ्रांस की दवा कंपनी सनोफी बेचती है। लेंटस वैश्विक स्तर पर सनोफी का सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड है, जिसकी सालाना बिक्री साल 2018 में 356.50 करोड़ यूरो है। इसे हालांकि अमेरिका व यूरोपीय बाजारों में भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और कैलेंडर वर्ष 2018 में वैश्विक बिक्री 19 फीसदी घटी। भारत में लेंटस का प्रदर्शन बेहतर है और सितंबर में मैट वैल्यू के लिहाज से इसमें 18.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसके अतिरिक्त मार्च 2017 में लेंटस भारत में चौथा सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड था। बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक के अनुसार बहुराष्ट्रीय कंपनियां विपणन का बेहतर तरीका अपनाते हैं। वे पहली बार वाले इंसुलिन के मरीजों पर नजर रखते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि डॉक्टर उनका ब्रांड मरीज की पर्ची में लिखें। इंसुलिन डॉक्टर की पर्ची से ही मिलता है और कोई भी उसमें तब तक बदलाव नहीं कर सकता, जब तक कि कहा न जाए। इससे उनके ब्रांडों के प्रति लगाव बनाए रखने में मदद मिलती है। तीसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड भी मधुमेह की ही दवा ग्लायकोमेट जीपी है, जो भारतीय दवा कंपनी यूएसवी की है। इसकी बिक्री 483 करोड़ रुपये रही है, जो लेंटस के 499 करोड़ रुपये के करीब है। वास्तव में पांच अग्रणी दवा ब्रांड मधुमेह की दवा है और इस पर आश्चर्य नहीं होता क्योंकि देश में 7.2 करोड़ मधुमेह के मरीज हैं। ब्रिटेन की दवा कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मा की संक्रमणरोधी दवा ऑगमेंटिन इस सूची में छठे स्थान पर है। इसकी रफ्तार 18.2 फीसदी रही है और कंपनी के कारोबार में 10वें हिस्से के बराबर योगदान करता है। हिमालया कंपनी का लोकप्रिय ब्रांड लिव 52 है, जो लीवर से जुड़ी परेशानी दूर करता है और वर्षों से अग्रणी दवाओं में शामिल रही है। इसकी बिक्री 4.7 फीसदी बढ़ी है और कारोबार 400 करोड़ रुपये का है।