नई दिल्ली। बचपन में होनेवाले लाइलाज ब्रेन कैंसर के खिलाफ वैज्ञानिकों को तकनीक का इस्तेमाल करने में सफलता मिली है। उन्होंने बीमारी के खिलाफ दवाओं का नया मिश्रण बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया है। दि इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च, लंदन के मुख्य कार्यकारी प्रोफेसर क्रिस्टन हेलिन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को दवा की खोज पर परिवर्तनकारी प्रभाव डालनेवाला बताया है, जहां वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और डेटा विशेषज्ञों की टीम ने रिसर्च किया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल ने दवा के मिश्रण की पहचान करने में मदद की जिसका बचपन में ब्रेन कैंसर के लिए भविष्य का इलाज के तौर पर उम्मीद जग सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रस्तावित इलाज की ये पहली मिसाल है जिसका मरीजों को फायदा पहुंचने जा रहा है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों दवाओं के मिलाने से चूहों में जिंदगी 14 फीसद तक बढ़ गई। खतरनाक कैंसर DIPG दुर्लभ और बच्चों में तेजी से बढ़नेवाले ब्रेन ट्यूमर का प्रकार है। वर्तमान में DIPG और दूसरे प्रकार के समान ट्यूमर का ऑपरेशन कर बच्चों से निकालना डॉक्टरों के लिए मुश्किल है क्योंकि ऑपरेशन के लिए उपयुक्त अच्छी तरह से उनकी परिभाषित सीमाएं नहीं हैं। बच्चों के बड़े समूह पर मानव परीक्षण में वैज्ञानिक मिश्रण को जांचने की उम्मीद कर रहे हैं।

वैज्ञानिकों ने पाया कि एवेरोलिमस के साथ वंडेटानिब दवा का इस्तेमाल कर वंडेटानिब की ब्लड ब्रेन बैरियर से गुजरने की क्षमता को कैंसर के इलाज में बढ़ाया जा सकता है। चूहों पर जांच करने से प्रस्तावित मिश्रण असरदार साबित हुआ था और बच्चों के छोटे ग्रुप पर पहले ही परीक्षण किया जा चुका है। रिसर्च के नतीजों को कैंसर डिस्कवरी नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। बता दें कि पिछले 50 वर्षों से ज्यादा खतरनाक ब्रेन कैंसर से जीवित रहने की दर में सुधार नहीं देखा गया था। लेकिन अब खोज ‘उत्साहजनक’ नए युग में प्रवेश कर रही है जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सभी तरह के कैंसर के नए इलाज का आविष्कार और विकास करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।