नई दिल्ली: फार्मा इंडस्ट्री कंफेडरेशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल जगदीप सिंह ने कहा कि भारतीय मार्केट में बिकने वाले एंटीबायोटिक एमिकासिन इंजेक्शन की काफी मांग है और इसके रिजल्ट भी अच्छे हैं। 2013 में 250 एमजी की एमआरपी सरकार ने 31.48 रुपए तय की थी, लेकिन कच्चे माल का रेट करीब 7000 रुपए प्रति किलो था। 2016 में जब कच्चे माल का रेट 10 हजार रुपए था तब भी इंजेक्शन का रेट यही रहा। 2017 में कच्चे माल का रेट 21 हजार रुपए तक पहुंच गया है। इसका असर यह होगा कि कंपनियां इतने अच्छे रिजल्ट देने वाले एंटीबायोटिक्स का प्रोडक्शन बंद कर देंगी।
इसका नतीजा यह होगा कि मरीज का रेजिस्टेंस (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ जाएगी और एक बार हायर एंटीबायोटिक्स लेने के बाद लो एंटीबायोटिक्स असर दिखाना बंद कर देगा। हालांकि सरकार का दावा है कि अभी स्थिति ऐसी नहीं है कि दवाओं के दाम बढ़ें। दूसरी तरफ कुछ दवाएं बाजार से गायब जरूर हो गई हैं। टॉरेंट कंपनी ने पेट की गैस की समस्या में काम की टेबलेट टॉपसिड का प्रोडक्शन बंद कर दिया है। इसकी कीमत 6 रु./ स्ट्रिप थी। यही सॉल्ट फोमैटाडीन एबट कंपनी की तरफ से 19 रु./ स्ट्रिप कुछ दिन पहले तक बेचा जा रहा था, लेकिन अब वो भी बाजार में नहीं है। कोट्रामोक्साजोल-डीएस के नाम से मशहूर एंटीबायोटिक के रूप में 10 रुपए प्रति स्ट्रिप मिल जाती थी, किंतु इस समय 500 से ज्यादा कंपनियों ने उसका प्रोडक्शन कम कर दिया है। सबसे ज्यादा बिकने वाले सॉल्ट पैरासिटामॉल 225 रु./ किलो तक मिल जाता था। अभी यह 365 रु. किलो मिल रहा है।