अहमदाबाद। वडोदरा की दवा कंपनी एलेम्बिक फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जल्द ही चीन के बाजार में उतरेगी। इसके लिए कंपनी ने संयुक्त उद्यम गठित करने का फैसला लिया है। अमेरिका के बाद चीन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा औषधि बाजार है। डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज जैसी भारतीय कंपनियां चीन के बाजार में पहले से ही मौजूद हैं, जबकि सिप्ला, सन फार्मा और वॉकहार्ट जैसी अन्य औषधि कंपनियां चीन में अपना कारोबार शुरू करने की तैयारी कर रही हैं। एलेम्बिक फार्मास्युटिकल्स के प्रबंध निदेशक प्रणव अमीन के अनुसार नियामकीय समय-सीमा और मंजूरियों के मद्देनजर कारोबार 24 महीने बाद शुरू होने की उम्मीद है। चीन के औषधि बाजार का आकार करीब 160 अरब डॉलर है और वहां पैर जमाना आसान नहीं है। हाल में चीन ने नियामकीय मानदंडों में ढील दी है ताकि जेनेरिक दवा बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सके। अमीन ने कहा कि सीएफडीए ने यूएसएफडीए द्वारा मंजूर दवाओं के लिए थोड़ी राहत दी है। यानी इन दवाओं के लिए क्लीनिकल परीक्षण आदि में छूट दी गई है लेकिन नीतियां लगातार बदल रही हैं। नियामकीय मानदंडों में दी गई इस रियायत से हमें चीन के बाजार तक पहुंच बनाने और अवसरों को भुनाने में निश्चित तौर पर मदद मिलेगी क्योंकि हमारे पास यूएसएफडीए से मंजूर कई प्रमुख दवा मौजूद हैं।
एलेम्बिक फार्मा ने चीन के बाजार में अपनी दवाओं की बिक्री एवं विपणन के लिए एसपीएच साइन फार्मास्युटिकल लैबोरेटरीज कंपनी लिमिटेड, चाइना (एसपीएच साइन) एंड आदिया (शंघाई) फार्मा कंपनी लिमिटेड, चाइना (आदिया) के साथ करार किया है। संयुक्त उद्यम में एसपीएच साइन की 51 फीसदी और एलेम्बिक की 44 फीसदी हिस्सेदारी होगी। जबकि शेष 5 फीसदी हिस्सेदारी आदिया की होगी। संयुक्त उद्यम के पास 10 लाख यूआन (आरएमबी) यानी करीब 1 करोड़ रुपये की पूंजी होगी। संयुक्त उद्यम चीन में उन 12 जेनेरिक दवाओं की बिक्री करेगी जिनकी मांग लगातार बढ़ रही है।