नई दिल्ली। भारतीय फार्मा सेक्टर के निर्यात में आठ फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बीते जुलाई माह में निर्यात 8.36 प्रतिशत बढक़र 2.31 अरब डॉलर हो गया है। इसके पीछे पश्चिमी देशों में भारत में बनी जेनेरिक दवाइयों की लोकप्रियता को बताया जा रहा है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय फार्मा सेक्टर के निर्यात में सालाना 9.67 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 27.9 अरब डॉलर पर रही थी।
बता दें कि भारत के फार्मा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत है। इसके बाद यूके और नीदरलैंड की हिस्सेदारी 3-3 प्रतिशत है। ब्राजील, साउथ अफ्रीका, आयरलैंड और स्वीडन भारत के लिए नए निर्यात बाजार हैं।
हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के कुल निर्यात में फार्म सेक्टर की हिस्सेदारी 6.4 प्रतिशत हो गई है। यह वित्त वर्ष 2018-19 में 5.8 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों का अनुूमान है कि भारत की फार्मा इंडस्ट्री 2030 तक बढक़र 130 अरब डॉलर हो सकती है, जो कि वर्तमान में 65 अरब डॉलर की है।
फार्मा सेक्टर की ओर से नियमों का सख्ती से पालन
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि भारत के फार्मा सेक्टर की ओर से नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है। इंडस्ट्री के पास 703 यूएस एफडीए अप्रुव्ड सुविधाएं, 386 यूरोपियन गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) वाले प्लांट और 241 विश्व स्वास्थ्य संगठन के गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) वाले प्लांट हैं। दिसंबर 2023 में शेड्यूल-एम के तहत वैश्विक स्तर की मैन्युफैक्चरिंग के लिए नियमों में बदलाव भी किया गया था।
यह भी कहा गया कि पीएलआई स्कीम का फार्मा सेक्टर पर सकारात्मक असर हो रहा है। इससे आयात और निर्यात में अंतर को कम करने में मदद मिल रही है। अब सीटी स्कैन व एमआरआई मशीन तथा अन्य मेडिकल उपकरणों का स्थानीय स्तर पर प्रोडक्शन होने लगा है।