केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस पर चर्चा करते हुए देशवासियों को बताया कि आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है। कोविड-19 से जंग में भारत एक नया पहल करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से कोविड-19 के खिलाफ पूरे दुनियाभर में जंग छिड़ी हुई है और उसके कारण पूरी दुनिया तकलीफ में है। ऐसे में भारत में एक ऐतिहासिक काम शुरू किया गया है. भारत के तीनों स्वास्थ्य संस्था आयुष, स्वास्थ्य एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत सीएसआईआर को मिलाकर आईसीएमआर के टेक्निकल स्पोर्ट से आयुष की कुछ दवाईयों पर व्यापक तौर पर आज से क्लिनिकल परीक्षण शुरू किए जा रहे है।

इसका उद्देश्य है उन हेल्थ वर्कर, हाई रिस्क एरिया में कार्य करने वाले कोरोना वारियर्स या समाज के वो लोग जो कोविड-19 संक्रमित लोगों के संपर्क में है उन्हें सुरक्षित करना।  आयुष की कुछ दवाईयों का क्या रोल हो सकता है उन्हें संक्रमित होने से रोकने में या कोविड-19 के खिलाफ यह दवाईयां कैसे काम करती है, यही परीक्षण किया जाएगा इस क्लिनिकल ट्रायल के जरिये। आइये जानते है कुछ आयुष की दवाईयों व उनके लाभदायक गुणों के बारे में, जिनका आज से ट्रायल होना है-

अश्वगंधा- अथर्ववेद में भी अश्वगंधा के बारे में बताया गया है. आयुर्वेद में इस औषधी का अपना महत्व है. इसे सदियों से विभिन्न तरह की बीमारियों में प्रयोग में लाया जा रहा है. अश्वगंधा का नाम अश्व यानि घोड़े और गंध से जोड़ कर बनाया गया है। यह कई बीमारियों से लड़ने में उपयोगी है। बैक्टीरिया के संक्रमण में लाभ, घाव भरने में उपयोगी, प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने में, मधुमेह में दवा के रूप में लाभदायक,  कामोद्दीपक गुण तथा यह थायराइड को समाप्त करता है।  अपच में लाभदायक मांसपेशियों में शक्तिवर्धक ताकत बनाता है और सुधार भी करता है।  मोतियाबिंद से लड़ने में उपयोगी त्वचा की समस्या को दूर करता है।  बालों के लिए फायदेमंद हृदय को स्वस्थ रखता है।  कैंसर के लिए उपयोगी अवसाद में असरदायक और तनाव विरोधी गुण पाए जाते हैं।
यष्टिमधु (मुलेठी)- मुलेठी को भी सदियों से औषधी के रूप में उपयोग किया जा रहा है. इसका संस्कृत नाम यष्टिमधु है।  यह दस में 2 भारतीय के घर में उपयोग में लाया जाने वाला औषधी है।  किसी का गला खराब हो या पेट संबंधी कोई प्रॉब्लम तो इसे लोग प्रयोग में लाते है। यह भी कई बीमारियों सेलड़ने में उपयोगी है, जैसे- बदहजमी, पेट में सूजन, सीने में जलन, पाचन संबंधी रोगों में फायदेमंद।
गुडूची पिप्पली (गिलोय)- इसका भी आयुर्वेद में काफी महत्व है।  इसे गडुची, गिलोय, अमृता समेत अन्य नामों से जाना जाता है।  गिलोय के फायदे बहुत तरह के बीमारियों में होते आये है।  हालांकि, इसे सही मात्रा में न लिया जाये तो हानिकारक भी हो सकता है। गिलोय के अनेक फायदे आयुर्वेद में बताये गए हैं। जैसे – बुखार उतारने में इसका उपयोग किया जाता है। एसिडिटी की परेशानी को ठीक करता है। कफ की बीमारी दूर भगाता है। डायबिटीज की बीमारी में फायदेमंद। स्वस्थ ह्रदय के लिए , कैंसर में फायदेमंद, आंखों संबंधी रोग में फायदेमंद, इससे कब्ज का इलाज, इसके सेवन से उल्टी नहीं होती, टीबी रोग में फायदेमंद, हिचकी को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल, कान की बीमारी में फायदेमंद, बवासीर के उपचार में लाभदायक, पीलिया रोग में लाभदायक, लीवर विकार को ठीक करता है, मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ होता है। इसके अलावा गठिया में फायदेमंद, फाइलेरिया में फायदा पहुंचाता है तथा कुष्ठ रोग का इलाज संभव है इससे।