नई दिल्ली। कोरोना के इलाज में इस्तेमाल के लिए भारत में जल्द ही एक और दवा का ट्रायल शुरू किया जाएगा। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद कोरोना मरीजों के इलाज के लिए दवा कोल्चिसिन की सुरक्षा और प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए क्लीनिकल परीक्षण करेगा। Colchicine दवा का इस्तेमाल फिलहाल देश में गठिया और सूजन संबंधी बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है। कार्डियक से ग्रसित कोरोना रोगियों के लिए य़े दवा एक महत्वपूर्ण चिकित्सीय उम्मीद बन सकती है।
कई वैश्विक अध्ययनों ने अब पुष्टि की है कि कोरोना वायरस संक्रमण और पोस्ट-कोविड सिंड्रोम के दौरान हृदय संबंधी जटिलताएं कई लोगों की जान ले रही हैं, और इसलिए नई या पुनर्निर्मित दवाओं की तलाश करना बेहद आवश्यक है। भारत इस दवा कोल्चिसिन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और यदि यह क्लीनिकल ट्रायल सफल होता है तो इसे मरीजों को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा। सीएसआईआर और हैदराबाद स्थित लक्षाई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा क्लीनिकल ट्रायल करने के लिए मंजूरी दिया गया है ताकि ट्रायल में कोल्चिसिन दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता का आकलन किया जा सके।
इस महत्वपूर्ण नैदानिक परीक्षण में भागीदार सीएसआईआर संस्थान सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद और सीएसआईआर-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, जम्मू हैं। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने इस स्वीकृत दवा पर क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए दी गई मंजूरी पर प्रसन्नता व्यक्त की।
डीजी-सीएसआईआर के सलाहकार डॉ राम विश्वकर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देखभाल के मानक के साथ संयोजन में कोल्चिसिन हृदय संबंधी सह-रुग्णता वाले कोविड रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण चिकित्सीय हस्तक्षेप होगा और प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को कम करने के लिए भी, जिससे तेजी से रिकवरी होगी। देश भर में कई साइटों पर रोगियों का नामांकन पहले ही शुरू हो चुका है और परीक्षण अगले 8-10 सप्ताह में पूरा होने की संभावना है।