कांगड़ा ( हिमाचल प्रदेश)। एक तरफ लोग महंगी दवाओं से परेशान है और इलाज़ के लिए मजबूरन महंगी दवाएं खरीद कर अपना इलाज़ करवाते है तो दूसरी तरफ लाखों रुपये की दवा एक्सपायर हो रही हैं। यह कारनामा है गगरेट सिविल अस्पताल का। प्रदेश सरकार की ओर से 174 के करीब ऐसी दवाएं हैं जो अस्पताल में मुफ्त मरीजों को दी जाती हैं। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने लाखों रुपयेे को दवा जो मरीजों के लिए निशुल्क आती है, उसे कचरे में फेंका हुआ है।
इनमें अधिकतर दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं कुछ दवाएं एक्सपायर नहीं हैं, वो भी इसी तरह कचरे के ढेर में बदल दी गई हैं। दवाओं को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा विवाद महंगी दवा लिखने और अस्पताल के अंदर की मुफ्त दवा न लिखने का विवाद रहा है। इसका समाधान ट्रिपल लेयर पर्ची सिस्टम निकाला गया था। लेकिन वो आजतक शुरू ही नहीं हो पाया। इस पर्ची के अनुसार एक पर्ची मरीज को एक पर्ची हॉस्पिटल में और एक पर्ची ज़िला मुख्यालय में जमा होगी, जिस पर जांच से पता चल सकेगा कि कौन सा डॉक्टर क्या दवा दे रहा है।
हेल्थ सेफ्टी रेगुलेशन के निदेशक सुमित खिमटा ने बताया मामला उनके ध्यान में लाया गया है। इसकी जांच करवाई जाएगी, जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीएमओ ऊना रमन कुमार ने कहा बीएमओ गगरेट को शो कोज़ नोटिस जारी किया जाएगा पर पड़ताल की जाएगी, इसके पीछे कौन दोषी है। अस्पताल प्रशासन ने बड़ी मात्रा में दवाओं की खेप को जला दिया है। ये दवाएं कौन सी थी, जो जला दी गईं इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। सूत्रों की माने तो दवा एक्सपायर होने का एक कारण यह भी है कि डॉक्टर द्वारा लिखी पर्ची को दवा केंद्र पर ट्रेनी कर्मी जो फर्स्ट एड की ट्रेनिंग लेने आती है उसे दवा केंद्र में बैठाया हुआ है उसे पर्ची तक को पढ़ा नहीं जाता और बाहर से दवा लेने के लिए कह देती है।
इस तरह दवाओं का स्टॉक बढ़ता जा रहा है और उन्हें कचरे में फेंक दिया जा रहा है। रात के अंधेरे में दवाएं ठिकाने लगा दी जाती है और लोग मजबूर होकर बाहर से दवाएं खरीदते हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने आनन फानन में उस लड़की को बदल कर उसकी जगह एक नर्स की ड्यूटी लगा दी।