खरसावां। देश में नई -नई बिमारियों ने जहा लोगों को बीमार कर रखा है तो वही इसी कड़ी में कुछ अस्पताल ही अब बीमार पड़ चुके है। गौरतलब है कि कोरोना के कारण लोग वित्तीय संकट से जूझ रहे है। ना ही अपने डॉक्टरों की समय पर वेतन दे पा रहें है। सरायकेला-खरसावां के कुचाई में दीपक फाउंडेशन द्वारा संचालित कल्याण अस्पताल इन दिनों वित्तीय संकट के कारण खुद बीमार हो गया है। अस्पताल में दवा से लेकर डॉक्टरों की भारी कमी है। समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण सभी स्पेसलिस्ट एमबीबीएम चिकित्सकों ने मार्च माह से ही अस्पताल में सेवा देना बंद कर दिया है।
वर्तमान में यह अस्पताल एक दंत-मुख चिकित्सक व दो आयुष चिकित्सक के भरोसे संचालित हो रहा है। दवा की भी भारी किल्लत है। डॉक्टरों की कमी के कारण अब अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में भी काफी कमी देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि सरकार से अस्पताल को मिलने वाली अनुदान की राशि नवंबर 2019 से ही नहीं मिली है। मार्च 2021 तक करीब 1.94 करोड़ रुपया सरकार पर बकाया है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन भी अब अस्पताल को संचालित करने में अपने हाथ खड़े कर रहा है। आगामी 15 जुलाई से कर्मियों की कमी करने के साथ साथ अस्पताल में दी जा रही सेवाओं में भी कटौती की जाएगी। इसके संबंध में अस्पताल प्रबंधन ने विभाग को पत्र लिख कर जानकारी दे दी है।
दीपक फाउंडेशन के प्रोजेक्ट को आडिनेटर सरकार डॉ पंकज पटेल कहा कि वित्तीय संकट के कारण इन दिनों अस्पताल को संचालित करने में परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2018 से 2023 तक के लिए कल्याण अस्पताल कुचाई के संचालन, रखरखाव व प्रबंधन की जिम्मेवारी दीपक फाउंडेशन को दी है। परंतु 21 नवंबर 2019 से अब तक अस्पताल को सरकार से अनुदान नहीं मिला है। हाल के दिनों में दीपक फाउंडेशन बैंक से कर्जा लेकर अस्पताल का संचालन कर रहा है। इसके लिए कई बार विभाग को पत्र लिखा गया है परंतु अनुदान की राशि नहीं मिली है। उम्मीद है कि सरकार राशि का भुगतान जल्द से जल्द करेगी, ताकि अस्पताल की सेवाए सुचारु रूप से चल सके।
दूसरी ओर अस्पताल में दी जा रही सेवाओं में कटौती करने की जानकारी मिलने पर कुचाई के 122 लोगों ने बीडीओ को हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंप कर कहा कि दीपक फाउंडेशन अस्पताल चलाने में असमर्थ है, तो किसी अन्य संस्था को संचालन का जिम्मा दिया जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि कल्याण विभाग के अस्पताल के संचालन का जिम्मा दीपक फाउंडेशन को दिया गया है, परंतु हाल के दिनों में इस अस्पताल का लाभ लोगों को सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में दवा के साथ साथ स्पेशलिस्ट डॉक्टर की भी कमी है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि अगर यह केंद्र बंद हो जाता है तो लोगों को काफी परेशानी होगी क्योंकि यह क्षेत्र मलेरिया व टाइफट जोन है। कोरोना की संभावित तीसरा लहर आने की स्थिति में लोगों को काफी परेशानी होगी। सौंपे गये ज्ञापन में रामकृष्ण मुंडारी, मिलन राम सोय, गोपाल कृष्ण सोय, सत्येंद्र कुम्हार, सानगी सोय, मनोज उग्रसांडी, सत्येंद्र सोय, देवेंद्र सोय, सुकुरमनी सोय, गोरा कुम्हार, सत्य सरोज सोय, इलियास सोय समेत 122 लोगों के हस्ताक्षर हैं।