नई दिल्ली : एक अध्ययन से पता चला है कि आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 मधुमेह के इलाज में प्रभावी है। तीन महीनों के भीतर शरीर में शर्करा की मात्रा को कम करने में मददगार साबित हो सकती है।
शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट का स्राव शरीर में करती है, जिससे मधुमेह संबंधी जटिलताएं नियंत्रित होती है।
यह अध्ययन सर्बियाई जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल ऐंड क्लीनिकल रिसर्च ऑन साइडो सैंटिफिक प्लेटफार्म में प्रकाशित किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 मधुमेह के इलाज में प्रभावी है। इसका बहुत कम या बिल्कुल नहीं दुष्प्रभाव है।
रवीन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने मधुमेह से ग्रस्त सौ रोगियों को दो समूहों में बांट कर करीब 12 हफ्ते तक चौथे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण किए।
उन्होंने बताया कि अध्ययन के दौरान बिना बताए एक समूह को सीटाग्लिप्टिन तथा दूसरे समूह को बीजीआर-34 दी गई। इसके बाद कुछ दिन तक निगरानी के बाद जब परिणाम सामने आया तो पता चला कि मधुमेह उपचार में बीजीआर-34 दवा काफी असरदार है।
अध्ययन के मुताबिक पहले नतीजे में ग्लाइकेटेड हेमोग्लोबिन (एचबीए1सी) के आधार स्तर में गिरावट आने की जानकारी मिली जोकि चिकित्सीय तौर पर सकारात्मक है। वहीं ‘रैंडम शुगर टेस्ट’’ में भी बीजीआर-34 असरदार पायी गयी।
गौरतलब कि बीजीआर-34 को वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं सीमैप एवं एनबीआरआई ने विकसित किया है तथा एमिल फार्मास्युटिकल ने इसे बाजार में उतारा है।