लखनऊ। फार्मा कंपनी और डॉक्टरों के गठजोड़ को खत्म करने के लिए प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बात दें कि अगर अब कोई डॉक्टर अपने मन पसंद कंपनी की दवा मरीजों को लिखेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि केजीएमयू में ब्रांडेड कंपनी की दवा लिखने वाले डॉक्टरों पर शिकंजा कसेगा। मनपसंद कंपनी की दवा लिखने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई होगी। इसके लिए केजीएमयू प्रशासन ने डॉक्टर की सलाह के बाद मरीज के पर्चे की पड़ताल कराने का फैसला किया गया। यहां प्रिसक्रिप्शन ऑडिट लागू किया जाएगा।
केजीएमयू की ओपीडी में सामान्य दिनों में आठ से 10 हजार मरीज आते थे। कई बार डॉक्टरों पर मनपसंद कंपनी की दवा लिखने के आरोप लग चुके हैं। शासन के आदेश के बावजूद डॉक्टर मरीजों को जेनेरिक दवाएं नहीं लिख रहे हैं। केजीएमयू कुलपति ने परिसर में प्रिसक्रिप्शन ऑडिट व्यवस्था लागू करने का फैसला किया। पत्रकार वार्ता में कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने बताया कि ऑडिट व्यवस्था को अमल में लाने के लिए टीम बनाई गई है।
यह टीम डॉक्टरों के ओपीडी पर्चे देखेगी। डॉक्टर ने मर्ज के हिसाब से कौन सी दवाएं लिखी हैं? किस कंपनी की दवाएं ज्यादा लिखी जा रही हैं, इसकी जांच की जाएगी। इससे फार्मा कंपनी और डॉक्टरों के गठजोड़ को खत्म करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि फार्माको विजिलेंस भी सख्ती से लागू की जाएगी। इसमें यदि मरीज को किसी दवा से नुकसान हुआ है तो उसकी जांच कराई जाएगी। कारणों का पता लगाया जाएगा।
डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 65 से 70 वर्ष की जाएगी। इस प्रस्ताव पर केजीएमयू कार्य परिषद मुहर लगा चुका है। 65 के बाद वाले डॉक्टरों को प्रशासनिक पद नहीं दिया जाएगा। केजीएमयू में कई विभागों में एमडी की सीट अब दोगुनी कर दी गई है। 7 विभागों में कुल 41 सीटें थीं जिन्हें बढ़ाकर अब 81 कर दिया गया है इन विभागों में एनाटॉमी, फार्मोकॉलजी, मानसिक स्वास्थ्य, नेत्र, एंडोक्राइन सर्जरी, पीएमआर और माइक्रोबायोलॉजी शामिल है। कैंसर मरीजों के लिए अब पैट स्कैन मशीन लगाई जाएगी। इसके लिए करीब 13 करोड़ का बजट मंजूर हो गया है। मशीन खरीद की प्रक्रिया चालू हो है।