पटना। एक तरफ पूरा देश कोरोना जैसी खौफनाक बीमारी से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ जरुरी दवा के बढ़ते दामों ने लोगो की चिंता बड़ा दी है। दरअसल मालभाड़ा और कच्चे माल की लागत में इजाफा होने का हवाला देकर दवा कंपनियों ने दवाओं के रेट बढ़ा दिये हैं। उनके मुताबिक यह बढ़ोतरी पांच से 10 प्रतिशत तक हुई है। इससे कैंसर, किडनी, कोलेस्ट्रॉल और सांस की दवाओं समेत कई अन्य जीवनरक्षक दवाएं महंगी हो गयी हैं।

ये दवाएं चार से लेकर 40 रुपये तक महंगी हुई हैं। सबसे अधिक कीमतें उन दवाओं की बढ़ी हैं, जो मरीज को लंबे समय तक खानी पड़ती हैं। जानकारों के मुताबिक एक महीने से दवाओं की कीमतों में वृद्धि हो रही है।

पटना के गोविंद मित्रा रोड थोक दवा मंडी सहित जिले में करीब सात हजार से अधिक थोक व फुटकर दवा की दुकानें हैं। इनमें रोजाना करोड़ों रुपये का कारोबार होता है। बिहार ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पीके सिंह के अनुसार दवाओं के दाम में वृद्धि का मुख्य कारण पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होना है। व्यापारियों का कहना है कि तेल की कीमत बढ़ने से मालभाड़ा बढ़ा है। दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ी हैं।

कच्चे माल के आयात में दिक्कतें बढ़ने से भी असर
बिहार ड्रगिस्ट एवं केमिस्ट एसोसिएशन के पूर्व सचिव संतोष कुमार ने बताया कि दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल चीन सहित दूसरे देशों से आता है। कच्चे माल के आयात में दिक्कतें बढ़ी हैं। इसका असर दवाओं की कीमतों पर भी पड़ रहा है।

ये दवाएं हुईं महंगी
दर्दनिवारक इंडोकैप एसआर 105 की जगह 115 रुपये में बिक रहा है।

कोलेस्ट्राेल की गोली रोजावेल-20 के दाम ~303 थे, अब ~330 हैं।

मानसिक रोग की दवा ओललैंज 2.5 ~32 के बजाय ~37 में बिक रही है।

यूरिक एसिड की दवा फेबुस्टैट-40 ~184 की जगह ~202 में बिक रही है।

गरारा की दवा बेटाडीन ~210 के बजाय ~230 में बिक रही है।

लिवर की दवा यूडीलिव ~591 की जगह ~631 में बिक रही है।

बीपी की दवा एंलोप्रेस एटी ‍~123 की जगह ~135 में मिल रही है।