रावतसर (राजस्थान)। मरीजों को बिना रजिस्ट्रेशन एलोपैथी दवाओं से इलाज करने और चिकित्सा अधिनियम की खुली अवहेलना करने के तीनों आरोपियों को अदालत ने जेल भेजने के आदेश सुनाए हैं। बता दें कि बीसीएमओ डॉ. गौरीशंकर ने मार्च माह में पुलिस थाना में मामला दर्ज करवाया था कि मेगा हाईवे सब्जी मंडी के पास स्थित जनता मल्टीस्पैशलिटी हॉस्पिटल की जांच में सामने आया कि अस्पताल संचालक भरत सहू पुत्र रावताराम, विकास भारद्वाज पुत्र दलजीत शर्मा व सुरजीत कौर पुत्री सोहनसिंह षड्यंत्रपूर्वक बिना पंजीकरण आधुनिक चिकित्सा पद्धति में ऐलोपैथिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं। दोनों डॉक्टर आयुर्वेद चिकित्सक की डिग्री रखते हैं तो भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम के तहत अंग्रेजी दवाओं का प्रयोग अपराध की श्रेणी में आता है। इन्हें विशेषज्ञ चिकित्सक बताकर षड्यंत्रपूर्वक धोखाधड़ी की जा रही है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच के बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 420, 419 एवं 15(2)(13) भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम के तहत न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया। गौरतलब है कि आरोपियों ने दायमा कटला में अपने चिकित्सालय को आधुनिक रूप दे रखा था। जनता मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल के नाम से जगह-जगह बड़े होर्डिंग लगाए गए थे। अस्पताल में अलग-अलग चैम्बर, ओटी, इंडोर आउटडोर लेबोरेट्री, मेडिकल स्टोर सहित समस्त सुविधाएं मौजूद हैं। खास बात यह है कि इस चिकित्सालय में पूर्व में दो-तीन बार मरीजों की जान जाने पर हंगामा मचा था लेकिन मामला वहीं दबा दिया गया।
जानकारी के अनुसार अपने आप को विशेषज्ञ डॉक्टर बताने वाली सुरजीत कौर के पास आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति की आयुर्वेदाचार्य की डिग्री है जो भगत फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुरकलां सोनीपत से मिली हुई है। वहीं, कथित डॉक्टर विकास भारद्वाज ने राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस कर्नाटक से ली गई आयुर्वेदाचार्य की डिग्री पेश की। पुलिस ने आरोपियों को सीआरपीसी की धार 41ए का लाभ देते हुए गिरफ्तार नहीं किया पर न्यायालय ने आरोपों को गंभीर मानते हुए नीम- हकीमों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। जमानत प्रार्थना पत्र को अस्वीकार करते हुए न्यायालय ने कठोर टिप्पणी की। न्यायिक मजिस्ट्रेट श्यामसुंदर बिश्नोई ने कहा कि वर्तमान समय में भोले-भाले ग्रामीण परिवेश के अशिक्षित लोगों के साथ इस प्रकृति के अपराध काफी बढ़ रहे हैं जो मानव जीवन के साथ घोर खिलवाड़ है और यदि इस स्तर पर इन्हें लाभ दिया जाता है तो जनमानस में गलत संदेश प्रसारित होगा।