रोहतक। मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। पीजीआई में नाजुक हालत में आने वाले मरीजों को डिजिटल एक्सरे कराने के लिए अब इधर-उधर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब मरीज के बेड पर ही उसका डिजिटल एक्सरे हो जाएगा। इसके लिए पीजीआई प्रशासन ने तीन डिजिटल मोबाइल एक्सरे मशीन मंगवाई हैा। फिलहाल मरीजों को डिजिटल एक्सरे के लिए रेडियोलॉजी विभाग में जाना पड़ता है। मरीज को विभाग तक ले जाने और उसका एक्सरे कराने के लिए करीब आधा घंटा का समय लगता है। ऐसे में मरीज की जान को खतरा हो जाता है। कार्यकारी वीसी और रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. रोहताश यादव ने बताया कि डिजिटल मोबाइल एक्सरे मशीन करीब साठ से सत्तर लाख रुपये की आएगी। डॉ. रोहताश यादव ने बताया कि यह मशीन मोबाइल के आकार की होगी। रे
डियोलॉजिस्ट मशीन को लेकर मरीज के पास जाएगा। बेड पर ही एक्सरे करेगा। इस मशीन में स्क्रीन भी लगी हुई है। यदि किसी कारणवश मरीज को एक्सरे की फिल्म चाहिए तो वह मशीन में से इसे ले भी सकता है। उनहोंने बताया कि हाल में पीजीआई का निरीक्षण करने आई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम ने अधिकारियों को डिजिटलाइजेशन करने की पैरवी की थी ताकि वातावरण को कोई नुकसान न हो सके। दरअसल, पुरानी तकनीक में विशेष प्रकार के सॉल्यूशन को नष्ट करने में वातावरण को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा पीजीआई में कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड की वेटिंग को खत्म करने के लिए ऐसी चार मशीन और मंगवाई गई है। अभी तक पीजीआई के रेडियोलॉजी विभाग में 7, गायनी विभाग और बाल रोग में 1-1 कलर डॉप्लर है। मशीनें कम होने से एक से दो महीने तक की वेटिंग चलती है। रेडियोलॉजी विभाग में वर्तमान में प्रतिदिन करीब 1200 एक्स-रे किए जाते हंै। ट्रामा सेंटर में मरीजों के डिजिटल एक्सरे के लिए डिजिटल रेडियोग्राफी सिस्टम लगाया जाएगा। डिजिटल एक्सरे की यह मशीन डेढ़ करोड़ में मंगवाई गई है। अभी तक ट्रामा सेंटर में साधारण एक्सरे मशीन है। यहां पर एक्सरे होने के बाद उसे डिजिटल में कन्वर्ट किया जाता है। इस मशीन के लगने के बाद सीधा डिजिटल एक्सरे होगा।