नई दिल्ली

अगले कुछ महीनों के अंदर निमोनिया के बेहद महंगे न्यूमोकोकल कंजूगेट टीके (पीसीवी) भी राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल हो कर बच्चों को मुफ्त में मिल सकेंगे, ऐसा वायदा सरकार ने आम जनता से किया है।  अभी बाजार में चार हजार से नौ हजार रुपये में इसकी दो खुराक मिल रही है। सरकारी कार्यक्रम में इसकी तीन खुराक दी जाएगी। इस एक टीके पर सरकार को सालाना लगभग दो हजार करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। यह रकम राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम पर पिछले साल हुए कुल खर्च से भी कई गुना है। स्वास्थ्य क्षेत्र में नीतिगत फैसले लेने वाली शीर्ष इकाई ‘मिशन स्टीयरिंग ग्रुपÓ (एमएसजी) ने इस टीके को क्रमिक रूप से देशभर में शुरू करने को मंजूरी दे दी है।
स्वास्थ्य और आठ अन्य केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही नीति आयोग के उपाध्यक्ष भी एमएसजी के सदस्य हैं। इसके मुताबिक बच्चों को न्यूमोकोकल के तीन टीके लगाए जाने हैं। ये टीके बच्चों को जन्म के छठे सप्ताह, 14वें सप्ताह और नौवें महीने में लगेंगे। इसके तहत पहले वर्ष में 20 फीसद, दूसरे वर्ष में 50 फीसद, तीसरे वर्ष में 80 फीसद और चौथे वर्ष से सौ फीसद इलाकों के बच्चों को ये टीके दिए जाएंगे। इससे पहले अगस्त, 2015 में ही राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआइ) इसे सरकारी कार्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश कर चुका है। 1निमोनिया से होने वाली मौतों के मामले में भारत दुनियाभर में सबसे ऊपर है। दुनियाभर में होने वाली ऐसी मौतों में से 19 फीसद मामले अपने देश में ही होते हैं।
भारत में पांच साल तक के बच्चों में सबसे ज्यादा मौतें इसी एक वजह से हो रही हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रमुख सीके मिश्र इस बारे में कहते हैं, ‘लगभग डेढ़ लाख बच्चे निमोनिया से मर रहे हैं, साथ ही बहुत बड़ी तादाद उन बच्चों की भी है, जो इससे गंभीर रूप से पीडि़त होते हैं। उनके इलाज में परिवार गरीबी रेखा के नीचे पहुंच जाते हैं। इस टीके की मदद से हम पांच साल तक के बच्चों की मृत्यु दर को काफी कम कर पाने की उम्मीद रखते हैं।Ó सिर्फ निमोनिया के टीके शुरू किए जाने पर 2700 करोड़ रुपये से ज्यादा का एक साल का खर्च आने का अंदाजा है जो बाद के वर्ष में कम हो सकता है। जबकि भारत में पिछले साल राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल सभी टीकों को मिलाकर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।