चेन्नई। तमिलनाडु के कई कारखानों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को अवैध दवाइयां देन का मामला सामने आया है। बताया गया है कि कारखाने में काम करने वाली लगभग हर महिला को बिना लाइसेंस के ऐसी दवाइयां दी जा रही हैं, ताकि पीरियड के दौरान उन्हें दर्द कम हो और वे छुट्टी ना लें ताकि उनका काम प्रभावित ना हो सके। हैरानी की बात यह भी है कि ये दवाइयां महिला कर्मचारियों को बिना किसी चिकित्सकीय सलाह के धड़ल्ले से दी जा रही हंै।
यहां काम करने वाली एक महिला कर्मी ने बताया कि उसे रोजाना लगभग 10 घंटे काम करना होता है। वह नहीं चाहती कि पीरियड के दर्द का असर उसके काम पर पड़े और मजदूरी में कटौती हो। इसलिए एक दिन अपनी फैक्ट्री सुपरवाइजर से दर्द कम करने के लिए दवा मांगी।  उन्होंने मुझे जो दवा दी उससे दर्द तो कम हो गया, लेकिन हेल्थ संबंधी अन्य समस्याएं बढ़ गई।
तमिलनाडु के मल्टी-बिलियन डॉलर के परिधान उद्योग में काम करने वाली लगभग 100 महिलाओं के साथ किए साक्षात्कार पर आधारित एक रिपोर्ट में बताया गया कि इन सभी महिलाओं को पीरियड पेन के लिए बिना लाइसेंस के ड्रग्स दिए गए। ड्रग्स का इस्तेमाल करने वाली ज्यादातर महिलाओं का कहना है कि इसके रेगुलर इस्तेमाल से उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है।
रिपोर्ट में खुलासा किए जाने के बाद राज्य सरकार ने माना कि वह परिधान श्रमिकों के स्वास्थ्य की निगरानी करेगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में लगभग 40 हजार कपड़ा कारखाने हंै। यहां लगभग तील लाख महिला श्रमिक काम करती हैं। इन कारखानों में मुख्य रूप से गरीब, अनपढ़ और हाशिए पर रहने वाले समुदायों की युवा और गांव की महिलाएं काम करती हैं। लेकिन, पीरियड्स के कारण काम छूटने और मजदूरी खोने का डर कई महिला श्रमिकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।