भोपाल। प्रदेश के मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। अब दवाइयों की मात्रा ज्यादा होने पर मरीजों को ये सस्ते दामों पर मिल सकेंगी। सरकार अब सीएमएचओ व सिविल सर्जन के दवा खरीदी के अधिकार खत्म करने जा रही है। उन्हें पूरी दवाएं मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन द्वारा तय कंपनियों व दरों पर खरीदनी होगी। इससे दवाओं की मात्रा ज्यादा होने पर सस्ती दरों पर दवाएं मिल सकेंगी। वहीं, गड़बड़ी की आशंका भी नहीं रहेगी। अभी जिले में उपयोग होने वाली दवाओं के कुल बजट की 80 फीसदी दवाएं कॉरपोरेशन द्वारा तय कंपनियों से खरीदी जा रही हैं। 20 फीसदी दवाओं की खरीदी सीएमएचओ स्थानीय स्तर पर करते हैं। इसी तरह के अधिकार जिला अस्पतालों में सिविल सर्जन के हैं। अब इसमें बदलाव के बाद पूरी दवा खरीदी के लिए कंपनी का चयन व दरें तय करने का काम कॉरपोरेशन करेगा। अस्पताल अपनी जरूरत के अनुसार कंपनियों से दवाओं की खरीदी कर सकेंगे। दवाओं की सप्लाई व्यवस्था ऐसी की जाएगी कि अस्पतालों में दवाओं की कमी नहीं आएगी। प्रदेश के कई राज्यों में केन्द्रीकृत खरीदी व्यवस्था लागू है। इन राज्यों में दवाओं की खरीदी व गुणवत्ता बेहतर रहती है। लिहाजा, मप्र में भी यह व्यवस्था लागू करने की तैयारी है। प्रदेश में हर साल 300 से 400 करोड़ रुपए की दवाएं अस्पतालों के लिए खरीदी जाती हैं।