मुंबई में इन दिनों तेजी से फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जैसे-जैसे शहर की हवा में सूक्ष्म कणों का स्तर बढ़ रहा है वैसे-वैसे ये बीमारी बढ़ रही है।
छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजीत राजन ने कहा, “उनमें से कई लोगों को अपनी दवाओं की खुराक दोबारा लेने की जरूरत है क्योंकि उनके फेफड़ों की स्थिति खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि अस्थमा रोगियों में एक असामान्य घटना देखी है। भाटिया अस्पताल में परामर्श देने वाले डॉ. राजन ने कहा, उन्नत इनहेलर्स की उपलब्धता के कारण अस्थमा के रोगियों को आमतौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है।
ठाणे के जुपिटर अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. मानस मेंगर ने कहा कि जब उनकी ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तो उन्हें एहसास होता है कि पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर बढ़ गया है। उन्होंने कहा, “मैं अपने मरीजों को सुबह के समय बाहर नहीं निकलने की सलाह देता हूं, जब प्रदूषक तत्वों का स्तर अधिक होता है।”
ये भी पढ़ें- नकली ओज़ेम्पिक ने ऑस्ट्रिया में कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया
जहां दिल्लीवासी लगभग एक दशक से खराब वायु गुणवत्ता से जूझ रहे हैं, वहीं मुंबई में समस्या अपेक्षाकृत नई है। तटीय मुंबई को समुद्री हवा से जो सुरक्षा मिली थी, वह बढ़ती निर्माण धूल और वाहनों के उत्सर्जन के खिलाफ अप्रभावी प्रतीत हो रही है। सर्वेक्षण के लिए समुदाय-आधारित मंच लोकलसर्कल्स के सचिन तपारिया ने कहा, “दिल्ली में, कई घरों में प्रदूषण मॉनिटर और कई एयर प्यूरीफायर हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घर के अंदर की हवा बाहर की तुलना में बेहतर है।”