रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्राइवेट अस्पताल, कारपोरेट मेडिकल स्टोर और अन्य द्वारा संचालित दवा दुकानों में मनमानी वसूली हो रही है. जिस कारण दवाएं काफी महंगी मिल रही है और दवा विक्रेता इसके खिलाफ हो गए है.

रायपुर डिस्ट्रिक्ट केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने सभी दवाओं का मूल्य नियंत्रित करने की मांग की है. अपनी मांगों को लेकर एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पत्र लिखा गया है. इस पर सकारात्मक संकेत भी मिला है.

आरोप है कि 80 फीसद दवाएं ड्रग प्राइस कंट्रोल आर्डर नियम के दायरे के बाहर हैं. जिस कारण महंगी दवाओं का खेल चल रहा है.

एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल जल्द केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात भी कर सकता है. दवा कारोबारियों ने दावा किया कि यदि केंद्रीय नीति में बदलाव होता है तो, दवाओं के दाम आधे हो सकते हैं.

बता दें कि कंपनियां दवाओं के मेन कंपोनेंट में कुछ अतिरिक्त तत्व जोड़कर उसे मूल्य नियंत्रण के दायरे से बाहर कर देती है. जिससे कीमत 100 से 200 गुना बढ़ जाता है. जबकि 8 से 10 फीसदी लाभ का प्रावधान है.

इससे दवाओं के दाम में काफी अंतर देखा जाता है, जैसे मेरोपेनम इंजेक्शन एंटीबायोटिक, पैरासिटामाल इंजेक्शन, ग्लेंडामाइसिन एंटीबायोटिक, पेपरासिलिन हाई एंटी और आयरन की गोली शामिल हैं.

रायपुर डिस्ट्रिक्ट केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशनके अध्यक्ष ठाकुर राजेश्वर का कहन है कि दवाओं के दाम पर सरकार का नियंत्रण नहीं है, जिससे लोगों को कई गुना अधिक कीमत पर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं. 100 फीसद दवाओं को डीपीसीओ के दायरे में लाने के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा गया है.