नई दिल्ली। अब राज्यों ने भी ज्यादा से ज्यादा मेडिकल डिवाइसेस को जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल करने और उन्हें प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाने की मांग कर दी है। केंद्र सरकार ने अभी दिल की धमनियों में लगने वाले स्टेंट्स और नी इंप्लांट जैसी कुछ ही मेडिकल डिवाइसेस के रेट फिक्स किए हैं। इसका असर यह हो रहा है कि पेशंट्स को ज्यादातर मेडिकल डिवाइसेस की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। हेल्थ वर्कर्स का कहना है कि केंद्र ने हाल में सभी मेडिकल डिवाइसेस को दवा की कैटेगिरी में लाने का फैसला किया है। इससे इनकी क्वॉलिटी पर नजर रखने में आसानी होगी। उनका कहना है कि केंद्र को सभी डिवाइसेस को ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के शिड्यूल-1 में भी शामिल करना चाहिए, ताकि इनकी कीमतों पर लगाम लगाई जा सके। इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल और नैशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी से बैलून कैथेटर और गाइडिंग कैथेटर को जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल करने को कहा है, ताकि इनके रेट्स पर लगाम लगाने में आसानी हो सके। ये कैथेटर एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी में इस्तेमाल किए जाते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि स्टेंट्स के रेट्स के दाम फिक्स होने के बाद कई अस्पतालों ने कैथेटर के रेट बढ़ा दिए हैं। इससे पेशंट्स को स्टेंट के रेट कम होने का पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। ऑल इंडिया ड्रग ऐक्शन नेटवर्क की मालिनी ऐशोला का कहना है कि सरकार सभी मेडिकल डिवाइसेस के दामों पर लगाम लगाएगी तभी लोगों को राहत मिलेगी।