इयांलोनी (उत्तर प्रदेश)। क्षेत्र के मेडिकल स्टोरों पर प्रतिबंधित दवाइयां धड़ल्ले से बेची जा रहीं हैं। ज्यादातर मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट नहीं हैं। स्टोर संचालक नाबालिग बच्चों और युवाओं को दवाई बेचने के लिए नौकरी पर रखते हैं। गलत दवाई दिए जाने से बीमार की तबीयत और बिगडऩे की आशंका बनी रहती है। आरोप है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा नियमित रूप से छापेमारी नहीं की जाती, जिससे यह गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है। क्षेत्र के नए बाजार, प्रेम नगर, शिव वाटिका, मुस्तफाबाद, अशोक विहार, पूजा कालोनी, विकास कुंज, लक्ष्मी गार्डन, राहुल गार्डन, अमित विहार, जवाहर नगर, सोनिया नगर आदि कालोनियों समेत गांव में सैकड़ों मेडिकल स्टोर संचालित हैं। क्षेत्र के इन मेडिकल स्टोरों पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन जैसी घातक दवाइयां खुले आम बेची जा रही हैं। यही नहीं, अधिकांश मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट के संचालित हो रहे हैं। बताया जाता है कि स्टोर संचालक फार्मासिस्ट का डिप्लोमा किराए पर ले लेते हैं। यदि कभी खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा छापेमारी की जाती है तो स्टोर संचालक डिप्लोमा दिखा कर फार्मासिस्ट के छुट्टी पर होने की बात कह टीम को गुमराह कर देते हैं। वहीं, दुकान संचालक नाबालिगों और युवाओं को नौकरी पर रखते हैं। वहीं अपने परिवार के सदस्यों को स्टोर पर बैठा कर कई दिनों तक घूमने चले जाते हैं। मेडिकल स्टोर पर काम कर रहे बच्चों और युवाओं से गलत दवाई दिए जाने की संभावना बनी रहती है। यदि इन द्वारा दी गई गलत दवाई से किसी बीमार की मौत हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। क्षेत्र में गलत तरीके से संचालित मेडिकल स्टोर और यहां बेची जा रही नशीली दवाइयों का मामला अधिकारियों के संज्ञान में भी है। लेकिन अधिकारी मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी नहीं करते। यदि जांच के लिए लोनी क्षेत्र में आते हंै तो एक-दो मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी की औपचारिकता निभाकर लौट जाते हंै। इस संबंध में लोनी के उपजिलाधिकारी प्रशांत तिवारी का कहना है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग और प्रशासन की एक टीम का गठन कर मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी की जाएगी।