शिमला (हिमाचल प्रदेश)। मेडिसिन हब कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में निर्मित दवाओं के सैंपल फेल होने के बाद राज्य सरकार ने ऐसी सभी दवाओं के स्टॉक को दुकानों से हटाने के निर्देश जारी किए हैं।
ड्रग इंस्पेक्टरों को कहा गया है कि फार्मा कंपनियों की मौके पर जाकर इंस्पेक्शन करें। ऐसी फार्मा कंपनियां जिनके सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएं। स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने कहा कि जिन फार्मा कंपनियों की दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। केंद्रीय दवा मानक एवं नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने भी लगातार सैंपल फेल होने के बाद कई तरह के सवाल उठाए थे। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएसओ) हर महीने राष्ट्रीय स्तर पर ड्रग अलर्ट जारी करता है। इसमें जिन दवाओं के सैंपल फेल होते हैं, उनकी सूची जारी की जाती है। बाजार में ये दवाएं उपलब्ध होने के कारण रोगी इन दवाओं का सेवन भी कर लेते हैं क्योंकि सैंपल फेल होने के बाद ही इन दवाओं के स्टॉक को वापस मंगवाया जाता है। उससे पूर्व तो ये बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होती हैं।
गौरतलब है कि हिमाचल में 600 के करीब फार्मा कंपनियां है। इनमें बीबीएन, पांवटा साहिब, कालाअंब, सोलन, संसारपुर टैरेस, गगरेट, मेहतपुर व कुमारहट्टी औद्योगिक क्षेत्रों में हैं। प्रदेश में करोड़ों का कारोबार फार्मा कंपनियों में होता है। स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने कहा कि हिमाचल में बनी दवाओं के सैंपल फेल होने के मामले की रिपोर्ट विभाग से तलब की गई है। ड्रग इंस्पेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वह फार्मा कंपनियों का दौरा कर वहां पर चैकिंग करें। जिन दवा कंपनियों के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएंगे।