जयपुर (राजस्थान), कैलाश शर्मा। डिप्लोमा इन फार्मेसी कोर्स करने के बाद प्रेक्टिकल ट्रेनिंग देने वाले मेडिकल स्टोर को अब फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से अनुमति लेनी पड़ेगी। इसके बाद ही विद्यार्थियों को प्रेक्टिकल ट्रेनिंग दे सकेंगे। पीसीआई से अनुमति नहीं लेने पर किसी भी काउंसिल में फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। यह निर्णय सेन्ट्रल काउंसिल के सदस्यों की बैठक में लिया गया है। प्रेक्टिकल ट्रेनिंग में प्रेस्क्रिप्शन को ठीक तरह से पढक़र दवाओं की डोज, मरीजों को दवा का वितरण करना जैसे कार्य शामिल है।
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की रजिस्ट्रार कम सचिव अर्चना मुदग्ल ने इस संबंध में सर्कुलर जारी किया है। यह नियम राजस्थान समेत पूरे देशभर में लागू किया गया है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान से हर साल मान्यता प्राप्त संस्थानों सेे 1500 से 2000 स्टूडेंट डी-फार्मा कोर्स करके निकलते है। यही नहीं, पीसीआई नई दिल्ली ने सत्र 2020-21 से देश में नए कॉलेजों को मान्यता देने पर अगले पांच साल तक रोक लगा दी है। केन्द्र सरकार को प्रेक्टिकल ट्रेनिंग देने वाले मेडिकल स्टोर पर बिना उपस्थिति और कार्य अनुभव के ही प्रमाण पत्र देने की शिकायत मिली है। निर्धारित अवधि में आने वाले मरीजों को दवा वितरण, पेशेंट काउंसलिंग, किस बीमारी में कितनी डोज और बीमारियों में इस्तेमाल की जाने वाले टेबलेट, सिरप, आई ड्राप की जानकारी नहीं होना है। अब पूरी तरह से निगरानी हो सकेगी और शिकायतों का समाधान हो सकेगा।
बता दें कि फार्मेसी प्रेक्टिस रेग्यूलेशन 2015 के तहत डिप्लोमा करने के बाद फार्मेसी, केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट से 90 दिन या 500 घंटे की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है। प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही काउंसिल में रजिस्ट्रेशन हो सकता है। बिना प्रेक्टिकल ट्रेनिंग के पंजीकरण नहीं करा सकते। राजस्थान समेत देशभर में 3 हजार संस्थान संचालित हंै, जहां से हर साल एक लाख 80 हजार 770 स्टूडेंट कोर्स करके निकलते है।
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने सत्र 2019-20 के लिए प्रदेश के 41 संस्थाओं को डी-फार्मा, बी-फार्मा और एम-फार्मा कोर्स के लिए वार्षिक और प्रोवीजनल मान्यता दी है। डिप्लोमा इन फार्मेसी में 1 हजार 974, बैचलर इन फार्मेसी में 1 हजार 170 सीटों के लिए मान्यता दी है। इसके अलावा एम-फार्मा ( फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, फार्मास्यूटिक्स, फार्माकोलोजी) जैसे विषयों में भी 6 से लेकर 15 सीटों पर प्रवेश के लिए मान्यता दी है। आरयूएचएस के डिप्टी रजिस्ट्रार के अनुसार मान्यता की सूचना आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्नीकल एज्यूकेशन (एआईसीटीई) नई दिल्ली, राज्य व केन्द्र सरकार को भेजी है।
काउंसिल में राजस्थान के मनोनीत सदस्य नवीन सांघी और फार्मा यूथ वेलफेयर संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण कुमार सैन का कहना है कि केन्द्र सरकार की ओर से लिए निर्णय से न केवल फर्जी प्रेक्टिकल ट्रेनिंग पर रोक लग सकेगी, बल्कि विद्यार्थियों के निर्धारित समय अवधि तक प्रशिक्षण लेने से दवा वितरण, स्टोरेज एवं पेशेंट काउंसलिंग भी अच्छी तरह से कर मरीजों को फायदा मिल सकेगा।