पीलीभीत। शहर में दवा दुकानों की आड़ में चल रहे अवैध क्लीनिकों पर जिला अधिकारी की नजर है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के निरीक्षण के बाद भ्रष्ट बाबू की गर्दन फंसते ही स्वास्थ्य विभाग में हडक़ंप मच गया था, वहीं जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने भी कार्रवाई करने में देर नहीं की थी। जिलाधिकारी द्वारा शासन को भेजी रिपोर्ट में अवैध रूप से चल रहे हॉस्पिटल और क्लीनिकों के संचालन के पीछे सीएमओ और डिप्टी सीएमओ को जिम्मेदार माना है। बता दें कि शहर के गांधी स्टेडियम रोड पर स्थित नैतिक मेडिकल स्टोर में अवैध रूप से न्यूरो सर्जन डॉक्टर अपनी दुकान चला रहे हैं। डाक्टरों द्वारा प्रचार में लगाए गए बोर्ड को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुंबई के न्यूरोसर्जन डा मोहम्मद इमरान व स्किन कॉस्मेटिक्स एंड लेजर केयर के डाक्टर ने अपने मिलने के स्थान पर नैतिक मेडिकल स्टोर लिखा है। यहां तक कि फोन नंबर भी नैतिक मेडिकल स्टोर का लिखा हुआ है। मेडिकल स्टोर की आड़ में अवैध रूप से क्लीनिक चलाकर जनमानस के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। डाक्टर शहर में बैठकर एक मेडिकल स्टोर पर अपनी दुकान में सर्जिकल मशीनें लगा लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं। लगाए गए बोर्ड पर किसी भी प्रकार का कोई रजिस्ट्रेशन नंबर या किसी अस्पताल से सम्बंध है नहीं लिखा है। जिसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेडिकल स्टोर की आड़ में बिना रजिस्ट्रेशन के डाक्टर अपनी दुकान चला रहे हंै। इस बारे में पूछने पर मेडिकल स्टोर धारक ने बताया कि डॉक्टर साहब से भी मिलना है तो प्रत्येक शनिवार को सुबह से शाम तक वह आपको मेडिकल स्टोर पर ही मिलेंगे। आप कभी भी आकर उनसे मिल सकते हैं। जानकारी के मुताबिक दोनों डॉक्टर लेजर सहित बालों के इलाज से संबंधित मशीनें लगाकर मरीजों का इलाज करते हैं। इस मामले की जानकारी एसीएमओ विजय बहादुर राम से ली तो उन्होंने बताया कि किसी भी मेडिकल स्टोर पर कोई भी न्यूरो सर्जन डॉक्टर बैठकर प्रैक्टिस नहीं कर सकता है। यदि वह ऐसा करता है तो अवैध है और इस मामले की समस्त जिम्मेदारी मेडिकल धारक की होगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल पंजीकरण से सम्बंधित जानकारी ड्रग इंस्पेक्टर बबीता रानी से ले सकते हैं। जब हमने ड्रग इंस्पेक्टर बबिता रानी से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मेडिकल स्टोर पर कोई भी डॉक्टर प्रेक्टिस नहीं कर सकता है। यदि मेडिकल स्टोर के पास स्पेस है तो डॉक्टर किसी भी कमरे में बैठकर अपनी दुकान चला सकता है और मरीजों को देख सकता है। मेडिकल से संबंधित हमारा काम है। यदि मेडिकल पर कोई बैठकर प्रैक्टिस करता है तो उसकी जिम्मेदारी हमारी है। कोई भी मेडिकल का लाइसेंस लेकर डॉक्टर को प्रैक्टिस नहीं कराएगा। यदि ऐसा कर रहा है तो वह गलत है। मैं खुद जाकर मामले को देखूंगी। साथ ही उन्होंने बताया कि डॉक्टरों से संबंधित जानकारी आप एसीएमओ से ले सकते हैं। इस मामले में हमारा कोई भी अधिकार और कोई भी हस्तक्षेप नहीं है। एसीएमओ और ड्रग इंस्पेक्टर की बात से यह तो साफ हो गया कि दोनों अधिकारियों ने मामले की तह तक ना जाते हुए एक-दूसरे के ऊपर बात टालकर अपना पल्ला झाड़ लिया।