जालंधर। मेडिकल स्टोर संचालक सावधान रहें। अगर वे डॉक्टर की पर्ची बगैर प्रैग्नेंसी किट बेचते मिलेे तो स्वास्थ्य विभाग उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अवैध तरीके से गर्भपात की दवा बेचने पर रिटेल मेडिकल स्टोर का लाइसेंस कैंसिल कर दिया जाएगा। साथ ही उसे जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। स्वास्थ्य विभाग के इस आदेश के बाद अब डॉक्टर की पर्ची पर ही मेडिकल स्टोर्स प्रैग्नेंसी किट बेच पाएंगे।
एमटीपी एक्ट के उल्लंघन पर मेडिकल स्टोर संचालक को 2 से 7 साल तक की जेल भी हो सकती है। संचालक स्वास्थ्य सेवाओं की ओर से देश के सभी राज्यों के सभी सीएमओ और सीएमएचओ समेत सभी सिविल सर्जन को ये आदेश जल्द मिल सकते हैं, जिनमें बिना डॉक्टर के पर्ची के गर्भपात की दवा बेचे जाने पर पूरी तरह से रोक लगाने को साफ कहा गया है। इसके लिए टीम गठित कर सभी जिलों के मेडिकल स्टोर में जांच करने को भी साफ कर दिया गया है। जरूरत पडऩे पर गर्भपात की दवा के खरीदार या मरीज को मेडिकल स्टोर पर डाक्टर की लिखी दो पॢचयां ले जानी होंगी। इनमें एक पर्ची दवा लेने वाले को वापस कर दी जाएगी। दूसरी पर्ची मेडिकल स्टोर संचालक रिकार्ड के रूप में अपने पास रखेगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा गया है कि अचानक रिकार्ड की जांच करें और गड़बड़ी पकड़े जाने पर मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ कार्रवाई करें।
गौरतलब है कि गर्भपात की दवाओं का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी सामने आया है। कई डाक्टर से लेकर डिस्पेंसरी संचालक और अस्पताल चोरी-छिपे गर्भपात करवाते हैं। इससे कई महिलाओं की मौत तक हो जाती है, जबकि कई महिलाओं को दूसरे महिला रोगों का सामना करना पड़ता है। अवैध गर्भपात को रोकने के लिए 2002 में एम.टी.पी. एक्ट बनाया गया था। मगर इसे ठीक ढंग से लागू नहीं कराया जा सका। नतीजतन ज्यादातर मेडिकल स्टोर में प्रैग्नेंसी किट हाथों हाथ बिकने लगी।