नई दिल्ली: मोबाइल टॉवर और हैंडसेट के रेडिएशन से मानव जीवन को कैंसर जैसी घातक बीमारी के खतरे को दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कोरी अफवाह करार दिया। उन्होंने कहा कि इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार उपलब्ध नहीं है कि मोबाइल टावर या हैंडसेट के रेडिएशन का मानव अथवा अन्य जीव-जंतुओं पर कोई प्रतिकूल असर होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के रेडिएशन से कैंसर अथवा अन्य बीमारियों की बातें अफवाह से अधिक कुछ नहीं हैं।
लोकसभा में प्रश्नकाल में दूरसंचार मंत्री ने कहा कि यह पूरी तरह निराधार है और इसका कोई प्रमाण नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 30 वर्ष के शोध में भी इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई है। प्रसाद ने कहा कि देश के छह हाईकोर्ट अलग-अलग आदेशों में यह स्पष्ट कर चुके हैं कि मोबाइल टावर के रेडिएशन से मानव जीवन पर किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता। पूरी दुनिया में इस तरह का कोई असर नहीं देखा गया। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और कोरिया तक में इस तरह की बात कभी नहीं उठी। उन्होंने कहा कि यदि मोबाइल टावर नहीं होंगे तो कॉल ड्रॉप अधिक होंगी। ‘क्या हम ज्यादा कॉल ड्राप अफोर्ड कर सकते हैं।’ दूरसंचार मंत्री ने अपील की कि अगर हम मोबाइल फोन के बिना नहीं रह सकते तो हमें ज्यादा मोबाइल टावर लगाने की इजाजत देनी होगी। प्रसाद ने कहा कि अगर लोगों को रेडिएशन को लेकर शंका है तो उसका दुष्प्रभाव एक्सरे अथवा मेटल डिटेक्टर से गुजरने के दौरान भी हो सकता है। केंद्रीय मंत्री के इस दावे से फिलहाल एक नई बहस तो छिड़ ही गई है, क्योंकि अकसर रिसर्च का हवाल देकर ही या चिकित्सक मोबाइल टावर और हैंडसेट के घातक खतरे की बात कहते रहे हैं। अब इस तरह की रिसर्चों पर भी नई रिसर्च की जरूरत महसूस हो गई है।