देहरादून। मरीजों को सस्ते दाम पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए खोले गए जन औषधि केंद्रों पर ब्रांडेड दवाएं बिक रही हैं। मरीजों की शिकायत पर भी अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अलग-अलग स्थानों पर जन औषधि केंद्र खोलकर मरीजों को कम मूल्य पर दवा उपलब्ध कराने का दावा किया था। तब माना जा रहा था कि सरकार की इस पहल से न सिर्फ मरीजों को कम मूल्य पर जेनेरिक दवाइयां मिलेंगी, बल्कि चिकित्सकों व मेडिकल स्टोर के बीच की सांठगांठ भी खत्म होगी।
इन जन औषधि केंद्रों पर ब्रांडेड दवाइयों के मुकाबले 600 प्रकार की जेनेरिक दवाइयां पचास प्रतिशत से कम की दरों पर दवा उपलब्ध होने और 154 से ज्यादा सर्जिकल आइटम होने का दावा किया गया था। लेकिन सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। देहरादून में संचालित अधिकांश जन औषधि केंद्रों का हाल कमोबेश ऐसा ही है। अब कोरोनेशन अस्पताल का ही उदाहरण लीजिए। यहां पर ओपीडी में रोजाना एक हजार से अधिक मरीज पहुंचते हैं। मरीजों को कम मूल्य में दवा उपलब्ध कराने के लिए यहां भी जन औषधि केंद्र खोला गया था, लेकिन मरीजों को यहां मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवा ना अस्पताल के स्टोर में मिलती है और ना ही जन औषधि केंद्र में। इतना जरूर है कि कई बार जन औषधि केंद्र में मरीज को जेनेरिक दवा की जगह ब्रांडेड दवा पकड़ा दी जाती है। अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे मरीज सूरज मणि ने इसकी पोल खोली। जब वह दवा खरीद कर वापस चिकित्सक को दिखाने पहुंचे तो वह भी दवा ब्रांडेड देखकर  हैरान रह गए। इसके बाद यह मामला अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला के पास पहुंचा। इस पर सीएमएस ने जन औषधि केंद्र में तैनात फार्मासिस्ट को तलब किया। हालांकि फार्मासिस्ट इस बारे में सही जवाब नहीं दे सकी। बता दें कि सिर्फ कोरोनेशन अस्पताल ही नहीं, बल्कि नेहरूग्राम व अन्य जगह संचालित होने वाले जन औषधि केंद्रों में भी इस तरह की शिकायतें सामने आ चुकी हैं।