मुंबई। ल्यूपिन कंपनी यूरोप में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए नए उत्पादों और अधिग्रहण की योजना बना रही है। ल्यूपिन के अध्यक्ष (यूरोप एवं पश्चिम एशिया) थियेरी वोल्ली का कहना है कि कंपनी तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकारों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों पर काम कर रही है। कंपनी के कारोबार में बढ़ोतरी को नए उत्पादों की शुरुआत से भी सहारा मिलेगा। कंपनी संधिवात गठिया के इलाज की दवा बायोसीमिलर इटेनरसेप्ट और मांसपेशियों की एक दुर्लभ बीमारी की दवा नामस्ला पेश करेगी। ये दोनों दवा 2019 में शुरू होने की संभावना है। हाल में ल्यूपिन को यूरोपीय नियामक ने नामस्ला को विपणन मंजूरी हासिल करने का सलाह दी थी। नामस्ला मांसपेशियों के विकार के इलाज की दवा है। यह एक दुर्लभ बीमारी है, जिससे यूरोप में करीब 7,500 लोग प्रभावित होते हैं। इस दवा की शुरुआत होने पर यह पूरे महाद्वीप में इस बीमारी की पहली लाइसेंसी दवा होगी।
यूरोपीय सरकारें कीमत और रिइंबर्समेंट के लिए अलग-अलग नीतियां अपनाती हैं और वहां दुर्लभ बीमारियों के इलाज में काम आने वाली दवाओं की ऊंची कीमत और उपलब्धता को लेकर कई दिक्कतें रही हैं। ल्यूपिन ने कहा कि वह पूरे यूरोप में इस दवा की उचित कीमत तय करने की कोशिश करेगी। हालांकि कंपनी ने उत्पाद की बिक्री की संभावनाओं के बारे में कोई संकेत नहीं दिया। ल्यूपिन ने नामस्ला समेत केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित दवाओं के पोर्टफोलियो की खरीद की शुरुआत 2015 में जर्मन दवा विनिर्माता टेमलर फार्मा के अधिग्रहण के साथ की थी। यह ल्यूपिन का जर्मनी में दूसरा अधिग्रहण था। इससे पहले कंपनी ने 2008 में होरमोसन फार्मा खरीदी थी।
वोल्ली ने कहा कि कंपनी यूरोप में जटिल जेनेरिक्स, विशेष दवाओं और बायोसीमिलर का एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो तैयार कर रही है। ल्यूपिन जिन विशिष्ट दवाओं पर रणनीतिक ध्यान दे रही है, उनमें अमेरिका के लिए महिलाओं का स्वास्थ्य और यूरोप के लिए न्यूरोसाइंस शामिल है। कंपनी इलाज के इन क्षेत्रों में संभावनाओं के आधार पर नए बाजार तलाशेगी। ल्यूपिन यूरोपीय बाजार में अपना कारोबार बढ़ाने पर ऐसे समय ध्यान दे रही है, जब उसे अपने मुख्य बाजार अमेरिका में मंदी के हालातों से जूझना पड़ रहा है। इन चुनौतियों के कारण कंपनी का अमेरिकी बाजार में राजस्व वित्त वर्ष 2018 में इससे पिछले साल के मुकाबले 27 फीसदी घटा है। ल्यूपिन को यूपोपीय बाजारों से 540 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। यह कंपनी की वित्त वर्ष 2018 के कुल कारोबार का 3.5 फीसदी है। हालांकि कंपनी के लिए यूरोप सबसे तेजी से बढऩे वाले प्रमुख बाजारों में से एक है, जहां कंपनी के कारोबार में 20 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।
ल्यूपिन की बिक्री बढऩे में जर्मनी में स्पेशियलिटी और जेनेरिक दवाओं की बिक्री का अहम योगदान रहा। कंपनी के लिए जर्मनी यूरोप में सबसे बड़ा दवा बाजार है। अन्य भारतीय कंपनियां भी यूरोपीय बाजार में अधिग्रहण और उत्पादों के लाइसेंस हासिल कर वृद्धि के मौके तलाश रही हैं। वर्ष 2017 में अहमदाबाद की कंपनी दवा कंपनी इंटास ने ब्रिटेन और आयरलैंड में एक्टाविस से 76.4 करोड़ डॉलर में जेनेरिक दवा का पोर्टफोलियो खरीदा था।