पानीपत। जीटी रोड स्थित जिला रेडक्रास सोसाइटी की ओर से संचालित ब्लड सेंटर अपग्रेड हो चुका है। सभी मशीनरी स्थापित हो चुकी है। प्लेटलेट्स, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (एफएफपी), लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी), श्वेत रक्त कणिकाएं (डब्ल्यूबीसी) जैसे ब्लड कंपोनेंट (घटक) लाइसेंस के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग (एफडीए) में आवेदन भी किया जा चुका है।

जिला सचिव के मुताबिक फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग (एफडीए) से लाइसेंस जल्द मिलने की उम्मीद है। इसी के बाद शुभारंभ का समय निर्धारित किया जाएगा। सोसाइटी के जिला सचिव गौरव रामकरण ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अपग्रेडशन में 80 लाख से अधिक का खर्च आया है। आइएसआरएल (इडियन सिंथेटिक बूटाडाइन रबर प्लांट) ने 27 लाख 63 हजार 483, आइओसीएल (इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड) 22 लाख 97 हजार, श्री सीमेंट ने 46 हजार 400 रुपये की मशीनरी खरीदकर दान दी है।

इनमें डीप फ्रीजर, प्लेटलेट्स एगिटेटर, प्लाज्मा थाविंग बाथ, डोनर काउच, ब्लड कलेक्शन मानिटर, कंपोस्केल, प्लाजमा एक्सप्रेशर, ट्यूब सीलर, एफरेसिस मशीन, सेल काउंटर, एलाइजा रीडर, एलाइजा वाशर, पोर्टेबल डोनर टेबल, ब्लउ ट्रांसपोर्टेशन बाक्स, लेमिनर एयरफ्लो शामिल हैं। सभी मशीनरी इंस्टाल हो चुकी हैं। स्टेट ड्रग कंट्रोलर सहित दूसरे अधिकारी निरीक्षण भी कर चुके हैं। सिविल अस्पताल में बनने वाले ब्लड सेंटर के विषय में घोषणा की गई थी कि सभी ब्लड कंपोनेंट मिलेंगे। अब बताया जा रहा है कि जब भी सेंटर खुलेगा, होल ब्लड ही मिलेगा। सीधा अर्थ, कंपोनेंट के लिए जरूरतमंद तबके के मरीजों को रेडक्रास पर निर्भर रहना होगा।

सिविल अस्पताल में भी ब्लड सेंटर बनना है। नवंबर 2018 से सेंटर खोलने की कवायद चल रही है, नतीजा ढाक के तीन पात जैसा है। ब्लड सेंटर के लिए रेफ्रीजरेटर सहित कुछ मशीनरी मिल चुकी है। प्रशिक्षित स्टाफ नहीं मिलने से अस्पताल प्रबंधन आगे कदम नहीं बढ़ा रहा है। अस्पताल में पैथालाजिस्ट भी नहीं है। प्लाज्मा से भी कई महत्वपूर्ण कंपोनेंट निकाले जाते हैं। इनका इस्तेमाल कई महत्वपूर्ण बीमारियों जैसे कि हीमोफीलिया, लीवर की बीमारियां, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना, ट्रामा, बर्न और सर्जरी इत्यादि।

रक्त यानी खून एक तरल पदार्थ है, जिसका रंग लाल हीमोग्लोबिन की वजह से होता है। इनकी कमी से एनीमिया बीमारी होती है। रक्त में श्वेत रक्त कणिकाएं हर सेकेंड में सेंकड़ों की संख्या में बनती-नष्ट होती हैं। इनकी कमी से कैंसर, एचआइवी, हेपेटइटिस सहित कई रोग पनपते हैं। प्लेटलेट्स रक्त के वह घटक हैं जो थक्के बनाते हैं, खून बहने को रोकते हैं। ये बोन मैरो में बनते हैं। शरीर में प्लेटलेट्स कम होने की वजह से मरीज को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है।