पानीपत। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानि कि एनएचएम के तहत दिसंबर-2019 में हुई भर्ती पर सवाल उठे है। जो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए सिरदर्द बने हुए है। दरअसल अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा ने एनएचएम निदेशक को निर्देश दिए हैं कि दो सप्ताह के भीतर शिकायत का निवारण करें। गौरतलब है कि शिकायकर्ता के मुताबिक एएनएम-जीएनएम भर्ती के विज्ञापन में पदों की संख्या पीएचसी, सिविल अस्पताल, सब डिविजनल अस्पताल समालखा, सीएचसी, सब सेंटरों के अनुसार थी। स्थानीय अभ्यर्थियों को प्राथमिकता मिलनी थी। शिकायतकर्ता के मुताबिक गांव आट्टा और महावटी में इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, बाहरी को ज्वाइन कराया गया है। भर्ती में गड़बड़ी के इसी मामले में एक अन्य युवक ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, वह मंजूर हो गई है। इसमें भी सिविल सर्जन, डीजी हेल्थ व एनएचएम निदेशक आदि को पार्टी बनाया गया है, नोटिस भी जारी हुआ है। हालांकि लिखित, कंप्यूटर टेस्ट और साक्षात्कार बहुत अच्छा गया, फाइनल सूची में उसका नाम नहीं आया। उसकी जगह स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे युवक को ज्वाइन कराया है जो पहले से टीबी विभाग में डाटा एंट्री ऑपरेटर है। करनाल के अलीपुर खालसा गांव का वासी है। फर्जी तरीके से पानीपत के सुखदेव नगर पते के कागजात बनवा कर जमा कराए हैं। राशन कार्ड की वैधता खत्म थी। मतदाता पहचान पत्र भी करनाल का है। इसके बावजूद कमेटी ने उसे स्थानीय मान कर 20 अंक दिए थे। दरअसल, हथवाला गांव निवासी रीना पत्नी रणबीर सिंह ने फरवरी 2020 में सिविल सर्जन कार्यालय, डीसी कार्यालय, सीएम विंडो, स्वास्थ्य मंत्री, एनएचएम के हरियाणा निदेशक और गृह मंत्री को फरवरी माह में शिकायत पत्र भेजा था। उसने बताया था कि नवंबर 2019 में अनेक पदों पर भर्ती निकाली गई थी। उसने पीपीएम कोऑर्डिनेटर पद के लिए आवेदन किया था। बतादे कि शिकायतकर्ता ने मामले की जांच और नौकरी दिए जाने की मांग की थी। एनएचएम निदेशक ने जांच के आदेश दिए थे। डीसी धर्मेंद्र सिंह ने नगराधीश को जांच सौंपी हुई है। अगस्त से सितंबर 2020 तक नगराधीश, शिकायतकर्ता को तीन बार कार्यालय में बुला चुकी हैं, शिकायत का निवारण नहीं हुआ है। तो वही दूसरी तरफ सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने बताया कि शिकायत की जांच डीसी ने नगराधीश को सौंपी है। उन्हें ही रिपोर्ट तैयार कर एनएचएम निदेशक और डीजी हेल्थ को भेजनी है। यह मेरे समय का मामला नहीं है। कमेटी के सदस्यों ने बताया है कि भर्ती में पूरा पारदर्शिता बरती गई है।
गौरतलब है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा ने 16 अक्टूबर को एनएचएम निदेशक को भेजे पत्र में इस केस की जांच रिपोर्ट दो सप्ताह में देने को कहा था। उसी पत्र के संदर्भ में मिशन निदेशक ने उपायुक्त-कम-चेयरमैन जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति को पत्र भेजा है। दो सप्ताह के भीतर फाइनल रिपोर्ट मांगी है और केस को डिस्पोज करने को कहा है ताकि सीएम विंडो पर रिपोर्ट को अपलोड किया जा सके।पानीपत। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानि कि एनएचएम के तहत दिसंबर-2019 में हुई भर्ती पर सवाल उठे है। जो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए सिरदर्द बने हुए है। दरअसल अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा ने एनएचएम निदेशक को निर्देश दिए हैं कि दो सप्ताह के भीतर शिकायत का निवारण करें। गौरतलब है कि शिकायकर्ता के मुताबिक एएनएम-जीएनएम भर्ती के विज्ञापन में पदों की संख्या पीएचसी, सिविल अस्पताल, सब डिविजनल अस्पताल समालखा, सीएचसी, सब सेंटरों के अनुसार थी। स्थानीय अभ्यर्थियों को प्राथमिकता मिलनी थी। शिकायतकर्ता के मुताबिक गांव आट्टा और महावटी में इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, बाहरी को ज्वाइन कराया गया है। भर्ती में गड़बड़ी के इसी मामले में एक अन्य युवक ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, वह मंजूर हो गई है। इसमें भी सिविल सर्जन, डीजी हेल्थ व एनएचएम निदेशक आदि को पार्टी बनाया गया है, नोटिस भी जारी हुआ है। हालांकि लिखित, कंप्यूटर टेस्ट और साक्षात्कार बहुत अच्छा गया, फाइनल सूची में उसका नाम नहीं आया। उसकी जगह स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे युवक को ज्वाइन कराया है जो पहले से टीबी विभाग में डाटा एंट्री ऑपरेटर है। करनाल के अलीपुर खालसा गांव का वासी है। फर्जी तरीके से पानीपत के सुखदेव नगर पते के कागजात बनवा कर जमा कराए हैं। राशन कार्ड की वैधता खत्म थी। मतदाता पहचान पत्र भी करनाल का है। इसके बावजूद कमेटी ने उसे स्थानीय मान कर 20 अंक दिए थे। दरअसल, हथवाला गांव निवासी रीना पत्नी रणबीर सिंह ने फरवरी 2020 में सिविल सर्जन कार्यालय, डीसी कार्यालय, सीएम विंडो, स्वास्थ्य मंत्री, एनएचएम के हरियाणा निदेशक और गृह मंत्री को फरवरी माह में शिकायत पत्र भेजा था। उसने बताया था कि नवंबर 2019 में अनेक पदों पर भर्ती निकाली गई थी। उसने पीपीएम कोऑर्डिनेटर पद के लिए आवेदन किया था। बतादे कि शिकायतकर्ता ने मामले की जांच और नौकरी दिए जाने की मांग की थी। एनएचएम निदेशक ने जांच के आदेश दिए थे। डीसी धर्मेंद्र सिंह ने नगराधीश को जांच सौंपी हुई है। अगस्त से सितंबर 2020 तक नगराधीश, शिकायतकर्ता को तीन बार कार्यालय में बुला चुकी हैं, शिकायत का निवारण नहीं हुआ है। तो वही दूसरी तरफ सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने बताया कि शिकायत की जांच डीसी ने नगराधीश को सौंपी है। उन्हें ही रिपोर्ट तैयार कर एनएचएम निदेशक और डीजी हेल्थ को भेजनी है। यह मेरे समय का मामला नहीं है। कमेटी के सदस्यों ने बताया है कि भर्ती में पूरा पारदर्शिता बरती गई है।
गौरतलब है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा ने 16 अक्टूबर को एनएचएम निदेशक को भेजे पत्र में इस केस की जांच रिपोर्ट दो सप्ताह में देने को कहा था। उसी पत्र के संदर्भ में मिशन निदेशक ने उपायुक्त-कम-चेयरमैन जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति को पत्र भेजा है। दो सप्ताह के भीतर फाइनल रिपोर्ट मांगी है और केस को डिस्पोज करने को कहा है ताकि सीएम विंडो पर रिपोर्ट को अपलोड किया जा सके।