भोपाल। रहवासी इलाकों में प्राइवेट नर्सिंग होम और मल्टी स्टोरी अपार्टमेंट में क्लीनिक खोलकर प्राइवेट प्रैक्टिस करने के लिए चिकित्सकों पर नियमों की आड़ में अब सख्ती नहीं की जा सकेगी। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की गाइड लाइन के हिसाब से तैयार नियम अब प्रदेश में केवल नए नर्सिंग होम और अस्पतालों पर ही लागू होंगे। महापंचायत में सीएम की घोषणा के हिसाब से संचालनालय ने मसौदे में संशोधन की बात कही है। कुल मिलाकर पांच साल में दूसरी बार प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लीनिक को नियमों में लाने की कोशिश नाकाम हो गई है। इसकी जरूरत शहर के नियोजित विकास के लिए विशेषज्ञों ने जताई थी, जिसके बाद टीएनसीपी ने नियम भी तैयार कर लिए थे। शहर में अरेरा कालोनी, शाहपुरा, होशंगाबाद रोड व मोतिया तालाब के आसपास ऐसे प्रतिष्ठान काफी संख्या में हैं। टीएनसीपी ने इन प्रतिष्ठानों के लिए कंपाउंडिंग और बिस्तर संख्या के नियम बनाए थे, ताकि ट्रैफिक जाम, पार्किंग और ड्रैनेज सिस्टम जैसी समस्याओं का हल निकाला जा सके। नगर निगम के मुताबिक रहवासी क्षेत्र के लिए तैयार पेयजल सप्लाई, पार्किंग, यातायात, ड्रेनेज, सफाई और प्रकाश व्यवस्था की योजना बड़े अस्पतालों की वजह से ध्वस्त हो जाती हैं। निजी निवास के लिए शांत रहवासी स्थलों पर निवेश करने वाले के अधिकारों का हनन भी होता है। मप्र प्राइवेट नर्सिंग होम एसोसिएशन ने इन सभी आपत्तियों के विरोध में ये तर्क दिया था कि इस तरह के संस्थान आपात स्थिति में व्यक्ति की जान बचाने के लिए जरूरी हैं। एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि प्रशासन नियमों का हवाला देकर आए दिन नर्सिंग होम बंद करने के नोटिस भेज रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के ज्यादातर प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लीनिक रिहायशी इलाकों में संचालित किए जा रहे हैं। ये संस्थान स्वास्थ्य विभाग की एनओसी के आधार पर संचालित होते आए हैं। नगर निगम, टीएंडसीपी और राजस्व विभाग की प्रमुख आपत्तियां ये रहीं कि प्रायवेट नर्सिंग होम नजूल की जमीन पर रहवासी अनुमति, लीज रेंट और लेआउट के नाम पर व्यावसायिक गतिविधियां चला रहे हैं। टीएनसीपी संचालक राहुल जैन ने बताया कि प्राइवेट नर्सिंग होम के संबंध में नियमों का प्रकाशन जल्द किया जाएगा। शासन की मंशानुसार पुराने और नए प्रतिष्ठानों के लिए नियमों में संशोधन करने पड़ेंगे।