भोपाल (मध्य प्रदेश)। रीड की हड्डी के ऑपरेशन के बजाए एक महिला मरीज के कूल्हे बदल डालने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह कारनामा कर दिखाने वाले अस्पताल पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने 10 लाख रुपये जुर्माना ठोंका है।
यह है मामला
राजधानी भोपाल के बड़े और प्रतिष्ठित अस्पताल बंसल हॉस्पिटल से जुड़ा मामला प्रकाश में आया है। यहां एक महिला मरीज की रीड की हड्डी का ऑपरेशन होना था। इसके लिए चार लाख रूपये लिए गए। लेकिन डॉक्टरों ने महिला मरीज के कूल्हे बदल डाले। बताया गया है कि महिला गर्भवती थी। उसके गर्भ में शिशु की मौत हो गई और बीमारी भी ठीक नहीं हुई।
पीठ में दर्द से परेशान थी महिला
इस मामले में बंसल अस्पताल भोपाल के खिलाफ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपील की गई। पीडि़त महिला निखत जहां उम्र 35 वर्ष ने अपनी याचिका में बताया कि उन्हें पीठ में दर्द होता था। पैदल चलने में परेशानी होती थी। बेहतर इलाज के लिए वह बंसल अस्पताल गई। डॉक्टर ने कई टेस्ट किए और बताया कि एक कूल्हा खराब हो गया है। उसे बदलने पर बीमारी ठीक हो जाएगी। डॉक्टर की सलाह पर महिला अपना कूल्हा बदलवाने के लिए तैयार हो गई।
दोनों कूल्हे बदलने की बात कही
डॉक्टरों ने पीडि़ता को कहा कि कुछ समय बाद दूसरा कुल्हा भी बदलना पड़ेगा। बेहतर है कि अभी दोनों कूल्हे बदल दिए जाएं। परेशानी भी नहीं होगी और दूसरी बार ऑपरेशन का खर्चा भी बच जाएगा। इस समय महिला गर्भवती थी। वह किसी भी प्रकार से अपना सबसे अच्छा इलाज चाहती थी। महिला ने इलाज के लिए अस्पताल में चार लाख रुपए जमा करवाए। इस पर डॉक्टरो ने ऑपरेशन कर महिला के दोनों कूल्हे बदल दिए।
दूसरे डॉक्टर के पास जाने पर गलती आई सामने
बंसल हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद भी मरीज को दर्द में कोई आराम नहीं हुआ। वहीं, इस ऑपरेशन के कारण उसका गर्भपात भी हो गया। जब महिला अपने इलाज के लिए दूसरे डॉक्टर के पास गई तो पता चला कि उन्हें स्पान्डिलाइटिस की बीमारी है। इसमें रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन करना होता है। कूल्हे बदलने की जरूरत ही नहीं थी।
जिला आयोग ने अस्पताल के पक्ष में सुनाया फैसला
पीडि़त महिला ने बंसल अस्पताल के मुख्य प्रबंध निदेशक अनिल बंसल और आर्थोपेडिक सर्जन डा. आरपी सिंह के खिलाफ 2016 में जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका लगाई। आयोग ने अस्पताल के पक्ष में निर्णय सुनाया। इससे असंतुष्ट मरीज ने 2017 में स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन में अपील की।
आयोग ने डॉक्टरों को सेवा में कमी का दोषी पाया
आयोग ने अस्पताल के डॉक्टरों को सेवा में कमी का दोषी ठहराया और हर्जाना लगाया। आयोग के अध्यक्ष एके तिवारी व सदस्य डा. श्रीकांत पांडेय ने अस्पताल को 10 लाख रुपये इलाज सहित मानसिक क्षतिपूर्ति राशि, 7.5 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। इसके अलावा 20 हजार रुपये वाद व्यय के लिए अलग से अदा करने को कहा है।