आज हर उम्र के लोगों को कमर दर्द की परेशानी रहती है। लगभग 90 प्रतिशत लोग अपने जीवन में कमर दर्द की समस्या से जूझ रहे होते हैं। शरीर में रीढ़ की हड्डी में 32 कशेरूका (वर्टेब्रा) होती हैं, जिनमें से 22 वर्टेब्रा कार्य करती हैं और जब ये ठीक से काम नहीं कर पाती तो कई तरह की समस्याएं उभरने लगती हैं। इसके अलावा कमर की बनावट में कई तरह के अंग कार्य करते हैं, यदि इनमें किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो कमर दर्द की शिकायत हो सकती है। ज्यादातर झुकने में और मुड़ने में तकलीफ होती है। यदि शुरुआती दौर में ही इसका सही इलाज करवा लिया जाए तो यह तकलीफ हमेशा के लिए दूर हो सकती है।
रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली गलतियां ही कमर दर्द का सबसे बड़ा कारण हैं। जो लोग अपनी नौकरी की वजह से एक ही जगह बैठकर घंटों काम करते हैं या बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत करते हैं या गलती से कई बार ज्यादा वजन उठा लेते हैं, वे कमर दर्द के जल्दी शिकार होते हैं। शरीर का भार सामान्य से अधिक होना, व्यायाम नहीं करना भी कमर दर्द के मुख्य कारण हो सकते हैं।
एम्स के डॉ. केएम नाधीर के अनुसार, कमर दर्द में आमतौर पर पीठ में दर्द, खिंचाव या अकड़न महसूस होती है। कमर दर्द कष्टकारक और असहज होता है, लेकिन आमतौर पर गंभीर नहीं होता है। कमर दर्द कई कारणों से होता है, जिनमें अचानक जोर पड़ना या गिरना, चोट लगना या लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहना शामिल हैं।
मोटापे में कमर दर्द
शरीर के अत्यधिक भार की वजह से मोटे लोगों को अक्सर कमर दर्द की समस्या रहती है। शरीर के अतिरिक्त भार को संभालने के लिए कमर आगे की ओर झुकती है। वजन अधिक होने से रीढ़ की हड्डी के छोटे-छोटे जोड़ों में समस्याएं शुरू हो जाती हैं और पीछे की डिस्क जल्दी खराब होने लगती है। यदि मोटे व्यक्ति फिजियोथेरेपी और सर्जरी करवाते हैं तो इस समस्या से उन्हें निजात मिल सकती है।
कमर दर्द का इलाज संभव
लोगों में यह भ्रांति है कि कमर दर्द लाइलाज बीमारी है। ऑपरेशन से कमर दर्द की समस्या हमेशा के लिए दूर हो सकती है। नवीन चिकित्सा पद्धतियों द्वारा रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन संभव है और थोड़े ही दिनों में व्यक्ति सामान्य हो जाता है।
कभी न करें ऐसी लापरवाही
कमर दर्द की शुरुआती अवस्था में ही यदि डॉक्टर से परामर्श लेकर उचित इलाज करवाकर सावधानी बरती जाए तो इससे छुटकारा मिल सकता है। इलाज के अभाव में यह गंभीर समस्या भी बन सकती है। लगभग 85-95 प्रतिशत तक कमर दर्द दवाओं, व्यायाम, पोश्चर करेक्शन तकनीकों और फिजियोथैरेपी तकनीकों से भी ठीक किए जा सकते हैं।
स्पाइन फ्यूजन तकनीक
सर्जरी आमतौर पर एनेस्थिशिया देकर की जाती है। सर्जरी से पूरी या आंशिक रूप से डिस्क को बाहर निकाल लिया जाता है। पूरी डिस्क निकालने के बाद उस डिस्क की जगह पर अन्य कृत्रिम डिस्क लगा दी जाती है। इसके अलावा स्पाइन फ्यूजन तकनीक से भी कमर की मजबूती बनाई जा सकती है। डॉक्टर द्वारा सर्जरी के बाद लगभग 3 महीने आराम करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान किसी भी तरह का कार्य न करने की भी सलाह दी जाती है।
ओजोन थैरेपी से इलाज
ओजोन थैरेपी सबसे आधुनिक तकनीक मानी जाती है। यह थैरेपी लोकल एनेस्थिसिया देकर की जाती है। इस थैरेपी में एक-एक घंटे की छह सिटिंग होती है, जो तीन हफ्ते में पूरी होती है। यह ओजोन थैरेपी माइक्रोस्कोपिक सर्जरी है, जिसमें शरीर पर किसी प्रकार की सर्जरी नहीं करनी पड़ती है। इस थेरेपी के माध्यम से ओजोन को डिस्क के आंतरिक हिस्से तक पहुंचाया जाता है। यह थैरेपी सभी प्रकार के कमर दर्द में कारगर नहीं हो सकती है।
डॉ. लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार, कमर दर्द के कई कारगर घरेलू इलाज भी हैं। इनमें शामिल हैं – अदरक और तुलसी का उपयोग। इसके अलावा खसखस के बीज का उपयोग करके भी कमर दर्द से निजात पाई जा सकती है। बहुत कम लोगों को पता है कि नियमित रूप से दूध का सेवन करने वालों को कमर दर्द नहीं होता है। वहीं कमर दर्द होने पर तेल की मालिश और बर्फ की सिकाई की जाती है। ये सभी उपाय दर्द निवारक दवाओं की तुलना में अधिक कारगर हैं और नुकसानदायक तो बिल्कुल नहीं हैं।