रोहतक। प्रदेश के एकमात्र पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के तीन डाक्टरों को उनकी करनी की सजा मिल गई है। मरीजों के लिए भगवान का दर्जा रखने वाले इन वरिष्ठ डॉक्टरों की शैतानी की शिकायतें अक्सर चर्चा में रही हैं। इन्हीं शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने बीते दिवस संस्थान में अवलोकन किया और सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आर. के. कड़वासरा, हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आर.सी. सिवाच व नेफरोलोजी विभाग के डॉ. अमित मान को कसूरवार माना। आयोग की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने उक्त तीनों डॉक्टरों को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए।
      गौरतलब है कि वर्ष 2016 में मानवाधिकार आयोग की तरफ से सांसद अनिवाश रायॅ शर्मा पीजीआईएमएस में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के तहत कम मेडिसन डिस्ट्ब्यिूट कांउटर की शिकायत पर जांच करने आए थे। यहां उन्हें जांच के दौरान करीब 32 दवाई कांउटर संतोषजनक कार्य करते मिले। लेकिन संस्थान के चिकित्सकों द्वारा बाहर इलाज करने, पैसे लेकर इलाज करने संबंधी शिकायतें भी मिलीं। उन्हें नेफरोलोजी विभाग के डॉ. अमित मान द्वारा शहर में ही स्थित अपने निजी अस्पताल में मरीजों की डायलिसिस करने, सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आर.के. कड़वासरा द्वारा एक मरीज से पैसे लेकर पेट के कैंसर का आप्रेशन करने की शिकायत मिलीं। बता दें कि डॉ. अमित मान को पहले भी निलंबित किया गया था, जिन्होंने कोर्ट से स्टे ले लिया था। वहीं, हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आर.सी. सिवाच के खिलाफ खानपुर महिला मेडिकल कालेज के निदेशक रहते कुछ शिकायतों की जांच एडिशनल चीफ विजिलेंस अफसर ने की थी। इन सभी शिकायतों को अतिरिक्त मुख्यसचिव के पास भेजा गया था। उसी रिपोर्ट के आधार पर अब तीनों चिकित्सकों को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर उसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई। बता दें कि हाल ही में चिकित्सा संस्थान के कई डाक्टरों का फार्मा कंपनियों के पैसे पर विदेश घूमने का मामला भी चर्चा में रहा है। इसके चलते स्वास्थ्य मंत्री विज ने पीजीआई संस्थान के मेडिसिन के विभागाध्यक्ष प्रो. नित्यानंद को सस्पेंड कर दिया था, किन्तु चंद दिन पश्चात ही उन्हें फिर से बहाल कर डाला। ऐसे में यह सवाल मुखर हो रहा है कि उक्त सस्पेंड किए गए तीनों डॉक्टर कब तक बाहर रहेंगे या फिर इन्हें भी बहाल कर दिया जाएगा।