रोहतक। हरियाणा के सबसे बड़े स्वास्थ्य संसथान रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के निदेशक की कुर्सी के लिए संस्थान के ही 16 चिकित्सक दौड़ में शामिल हैं। इनमे 4 महिला डॉक्टर्स भी शामिल है। नियमित निदेशक बनाने के लिए 9 नवंबर को साक्षात्कार होना था। डीएमईआर के डिप्टी डायरेक्टर की ओर से पिछले महीने 19 तारीख को पत्र भी जारी किया गया था। पीजीआईएमएस निदेशक की कुर्सी के लिए 16 डॉक्टर्स ने आवेदन किया। लेकिन साक्षत्कार से एक दिन पहले डीएमईआर से पत्र आता है कि 9 नवंबर को साक्षात्कार नहीं होंगे। निदेशक कार्यालय से आवेदन करने वाले सभी डॉक्टर्स की पूरी जानकारी मांगी गई है। पूछा गया है कि किसका कैसा रिकॉर्ड है, किसके खिलाफ कितनी शिकायतें हैं और कितने मामलों की जांच पेंडिंग है।

बता दें इंटरव्यूह की तारीख आने के बाद डॉक्टर सक्रिय हो गए। आवेदन करने वाले डॉक्टर्स के खिलाफ चंडीगढ़ में शिकायतों की जानकारी दी गई। शिकायत पर शिकायत जाने के बाद डीएमईआर गंभीर हुआ और 9 को होने वाला साक्षात्कार स्थगित कर दिया गया। रिटायरमेंट का स्टेटस भी डीएमईआर ने माँगा है। यानि निदेशक बनाने के लिए सभी आवेदकों का लेखा जोखा मांग लिया गया है। बताया जा रहा है कि 9 नवम्बर को सभी डॉक्टर्स का रिकॉर्ड निदेशक कार्यालय की और से भेजा जा चुका है।

वहीँ डीएमईआर का कहना है कि आवेदन करने वाले डॉक्टर्स की जानकारी मांगी गई है और ये फैसला शिकायतें आने के बाद लिया गया है। अब सारी जानकारी लेने के बाद साफ़ छवि वाले उम्मीदवार को ही निदेशक बनाया जायेगा। बता दें जिन डॉक्टर्स ने आपने नाम आवेदन के लिए दिए हैं उनके नाम है- डॉ. सिम्मी खरब, डॉ. गीता गठवाला, डॉ. ज्योत्स्ना सेन, डॉ. अलका सहगल, डॉ.वीरेंद्र कुमार कत्याल, डॉ.ध्रुव चौधरी, डॉ.एस के धतरवाल, डॉ.कुंदन मित्तल, डॉ.शमशेर सिंह लोहचब, डॉ.अशोक चौहान, डॉ.कुलदीप सिंह लालड़, डॉ.राकेश सहगल, डॉ.एस गंभीर, डॉ.अजय सिंह, डॉ.जगदीश चंद्र दुरेजा, डॉ.गुरदीप कुमार कल्याण।

बेशक साक्षात्कार स्थगित कर दिया गया है लेकिन नियमित निदेशक इसी महीने मिल जायँगे। फ़िलहाल डॉ. गीता गठवाला निदेशक का कार्यभार संभाल रही हैं। साफ़ छवि के डॉक्टर को ही निदेशक बनाया जायेगा। डॉ. रोहताश यादव का निदेशक के पद पर एक्सटेंशन कार्यकाल 17 अक्टूबर को पूरा हो चूका है। वे 31 जुलाई को रेडियोलॉजी विभाग से सेवानिवृत हुए थे। नए निदेशक न मिलने की वजह से उन्हें तीन महीने की एक्सटेंशन दे दी गई थी। 18 अक्टूबर को डीएमईआर की और से नियमित निदेशक बनाने के लिए साक्षात्कार का पत्र जारी हो गया था लेकिन बार बार मिल रही शिकायतों की वजह से स्थगित कर दिया गया था।

बता दें पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के निदेशक कार्यकाल पूरा करना बड़ी टेढी खीर है। अगर पिछले साल निदेशकों के कार्यकाल की बात की जाए तो सभी में कोई न कोई ऐसा मुद्दा हुआ है, जहां उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। डा. केबी गुप्ता, डा. राकेश गुप्ता व डा. एमसी गुप्ता का कार्यकाल कुछ इसी प्रकार का रहा। डा. केबी गुप्ता को ने इस्तीफा दिया। डा. राकेश गुप्ता से पूर्व मुख्यमंत्री हुकमसिंह की मौत मामले में इस्तीफा लिया गया। एमसी गुप्ता ने खुद इस्तीफा दिया व डा. रोहताश यादव बच्चा चोरी के मामले में चार्जशीट हुए।