रोहतक: स्वास्थ्य विभाग की ताबड़-तोड़ छापेमारी से शहर में खाने-पीने और मिठाई बाजार के दुकानदार दीपावली के मौके पर डरे-सहमे दिख रहे हैं। दुकानदारों को उम्मीद थी कि जीएसटी-नोटबंदी से धंधे की मंदी इस त्यौहारी सीजन में दूर होगी। लेकिन पिछले सप्ताह से स्वास्थ्य विभाग के डीएचओ डॉ. केएल मलिक सारा काम छोड़ कर बाजार में जिस तरीके से छापामार कार्रवाई कर रहे हैं, दुकानदार उसे कहर की परिभाषा दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की पटाखा बैन घोषणा को पटाखा कारोबारी तक पहुंचाकर एसडीएम अरविंद मल्हान भी पिछले दो दिन से पूरे ताम-झाम के साथ मार्केट में डटे हैं। दुकानदारों में इस कार्रवाई से प्रशासन के प्रति गुस्सा इसलिए फूट रहा है क्योंकि जब कभी त्यौहार आते हैं, अधिकारियों को उस वक्त ही नकली मिठाई की महक कैसे आ जाती है।

हैरानी की बात ये कि नियम के मुताबिक न तो सैंपल के लिए उठाए जाने वाले माल की कीमत दुकानदार को दी जाती है और न ही उस रिपोर्ट का कोई फायदा नजर आता है। कारण ये कि रिपोर्ट आने में महीना लग जाता है और तब तक दुकानदारों की मिठाई बिक चुकी होती है। यदि बाद में सैंपल फेल आ भी जाए तो क्या हो। मजेदार बात ये कि स्वास्थ्य विभाग को दोनों ही सूरत में फायदा पहुंचता है। क्योंकि फूड सेफ्टी अधिकारियों की बेहद कमी के चलते सरकार ने डॉक्टरों को पावर दे रखी है। इसलिए डॉक्टर पहले फूड सैंपलिंग में जमकर हाथ आजमाते हैं और फिर बिना जांच के बाजार में बिकने वाली नकली-मिलावटी खाद्य सामग्री से जब लोग बीमार हो जाते हैं तो फिर ये दवाईयों के खेल में हाथ दिखाते हैं। दवाओं में सरकारी डॉक्टरों के मोटे कमीशन का खेल किसी से छिपा नहीं है।

हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष गुलशन डंग ने फूड सैंपलिंग के नाम पर त्यौहारी सीजन में इस तरह ताबड़-तोड़ छापेमारी की निंदा की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि खाने-पीने के सामान में मिलावट करने और घटिया सामग्री बेचने का अधिकार किसी को नहीं है लेकिन विभाग की कुंभकर्णी नींद साल के चुनिंदा दिनों में ही खुलती है तो कार्रवाई पर शक होता है। उन्होंने कहा कि जांच समय-समय पर सिस्टम से होनी चाहिए। डेयरी एसोसिएशन के प्रधान राजू सहगल ने प्रशासन और सरकार से आग्रह किया कि वह नियमों के मुताबिक दुकानों की जांच का विरोध नहीं करते लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाजार में इस तरह खौफ पैदा करना ठीक नहीं। दुर्गाभवन के निकट बाजार में स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई के दौरान जिस तरीके से एकदम बाजार बंद हुआ उससे साबित होता है कि व्यापारियों और प्रशासन में तालमेल के अभाव है जो अच्छी बात नहीं।