पटना। लाइलाज माने जाने वाले सिकल सेल की दवा तैयार करने में भारत को बड़ी सफलता मिली है। DGCI ने भी इस दवा को अपनी मंजूरी दे दी है। इस बात की जानकारी स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दी है। यह दवा खासकर जनजातीय लोगों और बच्चों के लिए वरदान साबित होगी।
मेक इन इंडिया के तहत होगा निर्माण
गौरतलब है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारतीय दवाएं विश्व में अपना अलग स्थान रखती है। इसे भारत ने एक बार फिर साबित किया है। दुनिया में अब तक लाइलाज रही सिकल सेल बीमारी की रोकथाम के लिए आखिरकार दवा तैयार कर ली गई है। एकम्स ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के एमडी संदीप जैन ने कहा कि हम सिकल सेल एनीमिया दवा निर्माण के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
कंपनी के एमडी ने बताया कि हम प्रति माह दो करोड़ बोतलों का उत्पादन कर सकते हैं। कुछ अध्ययन से पता चला कि अगर इसकी दवा कम कीमत पर उपलब्ध नहीं है तो हम इस बीमारी को खत्म नहीं कर सकते। दवा की कीमत करीब 700-800 रुपये हो सकती है।
भारत-अफ्रीका में 80 फीसदी मरीज
कंपनी के अनुसार सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त 80 प्रतिशत आबादी अकेले अफ्रीका और भारत में है। शोध के बाद हमने एक दवा विकसित की है। दवा कमरे के तापमान पर भी स्थिर रह सकती है। पहले मरीजों को दवा लेने के लिए अस्पताल आना पड़ता था, लेकिन यह दवा जहां है वहीं दी जा सकती है।
ये है सिकल सेल रोग
बता दें कि सिकल सेल खून की कमी से जुड़ी बीमारी है। इसमें बीमार व्यक्ति में खून की कमी हो जाती है। हर व्यक्ति में लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं। ये आकार में गोल, लचीली और सॉफ्ट होती हैं। जब यह बीमारी किसी व्यक्ति में होती है, तो यह सिकल या हंसिया के आकार में आ जाती है।
ये होती हैं समस्याएं
इससे धमनियों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर देती है। उसके बाद लाल रक्त कोशिकाएं खत्म होने लगती हैं और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। सिकल सेल बीमारी से खून की कमी, फेफड़ों, दिल, आंखों, हड्डियों और मस्तिष्क पर प्रभाव, जोड़ों में दर्द, बुखार आना, शरीर का विकास रूक जाना, जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।