उत्तर प्रदेश (बरेली)
बड़ों की लापरवाही बच्चों को टीबी बीमारी की ओर धकेल रही हे। घर में किसी को टीबी होने पर उसे बाकी लोगों से अलग न रखे जाने पर सबसे पहले छोटे बच्चे टीबी की चपेट में आ रहे हैं। बरेली मंडल में पिछले एक साल में 10 साल से कम उम्र के 3500 बच्चों में टीबी के लक्षण मिले। इनमें से अधिकांश बच्चे इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. दीपा सिंह ने बताया कि छोटे बच्चों को टीबी से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शहर के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है। बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी जागरूक किया जा रहा है। हम बच्चों को समझा रहे हैं कि अगर घर में किसी को टीबी है तो उसके पास जाने से पहले मुंह पर रुमाल बांध लें। उसे रोज दवा खाने को कहें जिससे वह जल्दी ठीक हो जाए।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेमकुमार ने बताया, बच्चों को टीबी होने के पीछे हमेशा बड़ों की लापरवाही होती है। बच्चे घर के किसी संक्रमित आदमी के संपर्क में आने के अलावा बस, ट्रेन या किसी भीड़भाड़ वाले इलाके में किसी मरीज के संपर्क में आने से टीबी की चपेट में आ सकते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो ऐसे इलाकों में बच्चों का मुंह ढककर रखें।

जिला अस्पताल के डॉक्टर अंशुमान तिवारी ने बताया, एचआईवी पॉजीटिव माता-पिता के बच्चों को टीबी आसानी से जकड़ लेता है। अगर माता-पिता में से कोई भी एचआईवी पॉजीटिव है तो उन्हें अपने बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। छह महीने के इलाज के बाद टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है। बशर्ते मरीज बीच में दवा खाना बंद न करे।