पटना : बिहार के खगड़िया जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही समय सामने आई, जब करीब दो दर्जन महिलाओं की नसबंदी बिना बेहोश किए कर दी गई।

महिलाएं परिवार नियोजन ऑपरेशन कराने जिले के अलौली व परबत्ता स्वास्थ्य केंद्र गई थीं। मेडिकल स्टाफ ने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया, उनके हाथ-पैर कसकर पकड़ लिए, मुंह में रूई डालकर बिना एनेस्थीसिया के ऑपरेशन कर दिया।

ऑपरेशन के दौरान और बाद में पीड़िताओं को असहनीय दर्द हुआ। खगड़िया के सिविल सर्जन अमरनाथ झा ने कहा, “हमने मामले की जांच शुरू कर दी है और अमानवीय कृत्य के लिए जिम्मेदार एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा है।

स्वास्थ्य विभाग ने ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव नाम के एनजीओ को परिवार नियोजन संचालन का ठेका दिया है। झा ने कहा, हमने एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा है और इसे ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की है। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि एनजीओ एक अमानवीय कृत्य में शामिल था।

एनजीओ मरीजों को बेहोश करने के लिए ‘ट्यूबेक्टॉमी’ नामक एक प्रक्रिया का उपयोग कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन के समय यह मरीजों पर काम नहीं कर रहा था। राज्य सरकार हर नसबंदी के लिए 2100 रुपये दे रही है।

अधिकारी ने कहा कि एनजीओ का यह कृत्य अपराध है, क्योंकि उन्होंने मरीजों की जान जोखिम में डाली है। ऐसी ही एक घटना 2012 में अररिया जिले में हुई थी, जब 53 महिलाओं का परिवार नियोजन ऑपरेशन बिना एनेस्थीसिया के कर दिया गया था।

उस समय दोषी चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उनमें से तीन को जेल भेज दिया गया था।