नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन के दौरान दवा उत्पादन पर भी खासा असर दिख रहा है। देश के दवा उत्पादन में लगभग 35 फीसद की हिस्सेदारी रखने वाले हिमाचल प्रदेश के बद्दी इलाके की आधी इकाइयां इन दिनों उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। बाकी की 50 फीसद इकाइयों में भी अधिकतम 40 फीसद तक उत्पादन हो रहा है। उद्यमियों के मुताबिक यह स्थिति जारी रहने पर मई अंत या जून तक घरेलू स्तर पर कुछ जरूरी दवाइयों की किल्लत हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में स्थित आधी दवा इकाइयां कंटेनमेंट जोन में होने के कारण उत्पादन नहीं कर पा रही है।
हिमाचल ड्रग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक यहां लगभग 575 इकाइयां हैं। इनमें से लगभग 250 यूनिटें बंद हैं। बाकी इकाइयां कच्चे माल की कमी, श्रमिकों की आवाजाही की समस्या और लॉकडाउन के दौरान उत्पादन के लिए सरकार के कठिन नियमों की वजह से 30-40 फीसद उत्पादन कर पा रही है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के अलावा कई अन्य दवा बनाने वाली कंपनी इनोवा कैपटेब के एमडी मनोज अग्रवाल ने बताया कि उनकी कंपनी रोज एक करोड़ गोली बनाती थी, लेकिन कंटेनमेंट जोन में आने की वजह से पिछले 12 अप्रैल से उत्पादन पूरी तरह से ठप है। उन्होंने बताया कि इस औद्योगिक इलाके में काम करने वाले श्रमिक आसपास की जगहों पर रहते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से श्रमिक काम पर नहीं आ पा रहे हैं। अधिकतर उन्हीं इकाइयों में उत्पादन कार्य हो पा रहा है जहां श्रमिक रात-दिन उसी परिसर में रहते हैं।
दवा निर्माताओं ने बताया कि सप्लाई चेन में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन हैदराबाद व मुंबई जैसी जगहों से कच्चे माल की सप्लाई होने से माल पहुंचने में 8-10 दिन का समय लग रहा है। कच्चे माल के आयात में भी समस्या आ रही है। देश के सबसे बड़े जेएनपीटी पोर्ट पर काफी कम मात्रा में माल उतर रहा है। साथ ही किसी कर्मचारी के कोरोना संक्रमित होने पर एफआइआर और फैक्टरी सील होने के डर से भी कई उत्पादक उत्पादन का जोखिम नहीं ले रहे हैं।
उद्यमियों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से इन दिनों देश में लगभग 60 फीसद दवा की खुदरा दुकानें भी बंद हैं। इसलिए माल की इतनी मांग नहीं निकल रही है। लेकिन इस स्थिति के लंबे समय तक जारी रहने पर जून में कई जरूरी दवाइयों की किल्लत हो सकती है। हिमाचल ड्रग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि आगामी 3 मई को लॉकडाउन खुलने की स्थिति में भी उन्हें फिर से सामान्य तरीके से उत्पादन आरंभ करने के लिए कम से कम 21 दिनों का समय चाहिए। उन्होंने बताया कि उनकी एसोसिएशन ने सरकार से एक लंबे समय के लिए रोडमैप तैयार करने की मांग की है जिसके तहत उत्पादन कार्य को सुचारू रखा जा सके। क्योंकि अभी एक-डेढ़ साल तक इस स्थिति में ही उत्पादन करना होगा।