नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच सरकार 21 दिन के लॉकडाउन को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। हालांकि, इस लॉकडाउन का देश की दवा इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ रहा है। आने वाले हफ्तों में अगर लॉकडाउन जारी रहता है, तो इससे दवाओं और मेडिकल उपकरणों की कमी पैदा हो सकती है। औषधि विभाग ने गृह मंत्रालय को इस बारे में चेताते हुए कहा है कि लॉकडाउन के अंतर्गत जल्द फैसला लिया जाए, ताकि दवाई बनाने के काम में तेजी लाई जा सके। औषधि विभाग के सचिव पीडी वघेला ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को 9 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा कि इस वक्त दवाइयां और मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियां लॉकडाउन की वजह से औसत तौर पर अपनी क्षमता से सिर्फ 20-30 फीसदी पर ही काम कर पा रही हैं। ऐसे में अगर उत्पादन लॉकडाउन से पहले वाले स्तर पर नहीं पहुंचता है, तो आने वाले हफ्तों में देश में दवाइयों और मेडिकल उपकरणों की कमी आ सकती है। पत्र में बताया गया है कि भारत की फार्मास्यूटिकल आउटपुट का आधा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किया जाता है, क्योंकि वहां इनकी अच्छी कीमत मिलती है, लेकिन इससे घरेलू बाजार में मेडिकल सप्लाई की कमी पैदा हो सकती है। ऐसी किसी भी स्थिति को रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।