मुंबई। हैदराबाद की अरबिंदो फार्मास्युटिकल्स ने ब्रिटिश दवा निर्माता मैलिन्क्रॉट के अमेरिकी स्पेशियलिटी जेनरिक कारोबार के अधिग्रहण की योजना से पीछे हटने का फैसला किया है। बता दें कि यह सौदा करीब 80-90 करोड़ डॉलर का हो सकता था और इसे किसी भारतीय दवा कंपनी की तरफ से देश से बाहर सबसे बड़े अधिग्रहण में से एक माना जा रहा था। इससे पहले एक अन्य भारतीय कंपनी इंटास फार्मा ने भी दौड़ से बाहर निकलने का विकल्प चुना था। अरबिंदो पिछले साल मैलिन्क्रॉट के साथ बातचीत कर रही थी, लेकिन ज्यादा समय तक नहीं चली।
सूत्रों ने संकेत दिया कि अरबिंदो के प्रबंधन ने कई वजह से इस सौदे पर आगे नहीं बढऩे का फैसला लिया। एक सूत्र ने कहा कि एक वजह निश्चित तौर पर मूल्यांकन की थी और इस मोर्चे पर बातचीत में वह सहज नहींं थी। दूसरा, अरबिंदो की टीम इस सौदे में विरासत के तौर पर मिलने वाले कानूनी मसले को लेकर खुश नहीं थे। अंत में मामला कराधान का भी था। इस बारे में जानकारी के लिए अरबिंदो को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। हालांकि इस महीने आय की घोषणा के समय विलय-अधिग्रहण की योजना के बारे में पूछे जाने पर अरबिंदो फार्मा के प्रबंध निदेशक एन गोविंदराजन ने कहा था, हमने इस पर आगे नहीं बढऩे का फैसला लिया है।
अरबिंदो उन कानूनी मसलों (पर्यावरण संबंधी) से खुद को दूर रखना चाह रही थी, जिसका सामना मैलिन्क्रॉट कम से कम अगले कुछ साल तक करती। मैलिन्क्रॉट नियंत्रित दवा या रसायन बनाने वाली अग्रणी कंपनियों में से एक है, जिसका विनिर्माण या इस्तेमाल सरकारी नियम के हिसाब से होता है। मैलिन्क्रॉट का जो पोर्टफोलियो बिक्री के लिए था उनमें अफीम से बना  पेनकिलर शामिल था। ट्रंप प्रशासन ने अफीम के नशे पर लगाम कसी और ऐसे पोर्टफोलियो संभालने वाली दवा कंपनियां जांच के घेरे में आ गईं। एडलवाइस ने हालिया नोट में कहा था कि अफीम के दुरुपयोग को लेकर कंपनी के खिलाफ 500 से ज्यादा याचिकाएं अभी अदालत में हैं। हाल में ऐसे विनिर्माताओं व वितरकों पर न्यूयॉर्क में सालाना सरचार्ज लगाया गया है। नियंत्रित दवाओं के मैलिन्क्रॉट के पोर्टफोलियो ने इसे आकर्षक लक्ष्य बना दिया क्योंकि इस क्षेत्र में प्रवेश पर काफी पाबंदी है, साथ ही इसे नियामकीय चुनौतियों के दायरे में ला दिया है। इसका पोर्टफोलियो हालांकि दबाव में रहा है। पिछले एक-डेढ़ साल में इसका कारोबार करीब 25 फीसदी घटा है। नियामकीय चुनौतियों ने इसके मूल्यांकन पर भी असर डाला। मार्च 2017 में बिक्री के लिए सामने आने के समय मैलिन्क्रॉट ने जेनेरिक कारोबार के लिए करीब 2 अरब डॉलर मिलने की उम्मीद जताई थी।