नई दिल्ली। दवाओं के लिए आयात हो रहे कच्चे माल यानी एपीआई बड़ी धांधली का मामला उजागर हुआ है। खासकर चीन से बिना रोक-टोक घटिया गुणवत्ता, प्रतिबंधित और मिलावटी श्रेणी कच्चा माल आयात हो रहा है। इंपोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठा कर न सिर्फ बगैर मंजूरी नई दवाइयां लॉन्च कर दी जा रही हैं बल्कि घटिया कच्चे माल की वजह से कई दवाओं का मरीजों पर सही प्रभाव भी नहीं पड़ रहा है। चीन से भारत 72 फीसदी एपीआई इम्पोर्ट करता है। प्रतिबंधित एपीआई भी भारत में पहुंच रहा है। एपीआई बिना लाइसेंस इंपोर्ट हो रहे हैं। सरकार को 6 से 8 फीसदी एपीआई में मिलावट का अनुमान है. इस पर रोकथाम के लिए सरकार ने इंपोर्ट मॉनिटरिंग के लिए ट्रेस एंड ट्रैक मैक्निजम का प्रस्ताव दिया है. इम्पोर्ट हो रहे हर एपीआई पर क्यूआर कोड होगी। क्यूआर कोडिंग का डेटा बेस कस्टम्स पर तैयार होगा। दवाओं पर फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था डीटैब 2 अप्रैल की बैठक में फैसला लेगी। गौरतलब है कि एपीआई यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स इंटरमीडिएट्स, टेबलेट्स, कैप्सूल्स और सिरप बनाने के मुख्य रॉ मैटेरियल्स होते हैं। किसी भी दवाई के बनने में एपीआई की मुख्य भूमिका होती है और इसी एपीआई के लिए अब भारतीय कंपनियां बहुत हद तक चीन पर निर्भर हैं।