नई दिल्ली। कोरोना की दहशत के चलते लोग अपनी जरूरत के सामान में दवाओं का भी स्टॉक करने लगे हैं। इससे दवा दुकानदारों की बिक्री तीन गुणा बढ़ गई है। हालांकि, प्रशासन ने दवा की दुकानें हर हाल में खुली रखने को कहा हुआ है, लेकिन लोग दवा स्टॉक करने लगे हैं। इससे जरूरतमंदों को वक्त पर दवाएं मिलने में परेशानी आ सकती है। दवा विशेषज्ञों का कहना है कि देश में दवा की कोई कमी नहीं है। दवाएं कम नहीं होने वाली हैं। लोग अपनी जरूरत से ज्यादा दवा खरीद रहे हैं। दुकानदारों की बिक्री बढ़ गई है, लेकिन यह सही नहीं है।डायबिटीज, हार्ट, ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल की दवाओं की बिक्री अचानक दो से तीन गुणा बढ़ गई है। जो लोग बीमारी से पीडि़त हैं, जिन्हें रोज दवा खानी पड़ती है, वे थोड़ा सहम से गए हैं। उन्हें लगता है कि दवा की दुकानें बंद हो गईं तो उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। लोग रूटीन की दवा थोक में खरीद रहे हैं। इसके अलावा कई लोग कोरोना से बचने के लिए भी दवा खरीद रहे हैं। कुछ लोग विटामिन-सी खरीद रहे हैं। इम्यून सिस्टम मजबूत करने के मकसद से लोग यह दवा खरीद रहे हैं, अभी इसकी बिक्री 10 गुणा बढ़ गई है। हर कोई पैरासिटामोल भी खरीद रहा है। दुकानदारों का कहना है कि बाजार में थर्मल स्कैनर की मांग बढ़ गई है। इस वजह से इसकी कीमत अचानक 7 से 8 हजार तक पहुंच गई है। सरकार ने 200 मिलीलीटर सैनिटाइजर की कीमत 100 रुपये फिक्स की है। इसे बनाने वाली कंपनी के पास इस साइज के बॉटल तैयार करने में समय लगेगा। छापेमारी के डर से पुराने सैनिटाइजर दुकानदारों ने हटा दिए हैं। कोरोना के बढ़ते मामले के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जो लोग मास्क और सेनेटाइजर की कालाबाजारी कर रहे हैं वह न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि इंसानियत के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि 327 जगह अब तक रेड की गई है और 437 लोगों पर कार्रवाई की गई है।