समस्तीपुर। चार साल पूर्व सरकार ने गरीबों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले के अस्पतालों में जेनेरिक दवा की दुकान खोलने का आदेश दिया था। सदर अस्पताल में छह व अनुमंडलीय अस्पताल में चार-चार जेनेरिक दवा की दुकान खोलने की मंजूरी भी मिली। इसके लिए जन औषधि केंद्र की नींव भी रखी गई । मकान भी बनाया गया, ताकि गरीब मरीजों को ब्रांडेड महंगी दवा नहीं खरीदना पड़े। लेकिन आज तक जिले में एक भी जेनेरिक दवा की दुकान नहीं खोली गई। गौरतलब है कि जन औषधि केंद्र के तहत मरीजों को सामान्य बीमारियों के अलावा रक्तचाप, ब्लड शुगर, हृदय रोग सहित अन्य की दवाएं सस्ते दाम पर मिलती है। लेकिन सरकार व विभाग के निर्देश के बावजूद यह शुरू नहीं हो पाई।
सदर अस्पताल में छह जेनेरिक दवा की दुकान खोलने की योजना थी। दवा दुकान खोलने के लिए सदर अस्पताल में काउंटर का निर्माण भी कराया गया। लेकिन आज तक दवा की दुकान नहीं खुली। शहर से गांव तक कोई भी दवा दुकानदार जेनेरिक दवा बेचने की बात स्वीकार नहीं करता है। लेकिन बेचने में कोई पीछे नहीं है। बावजूद जिले में डॉक्टरों, दवा दुकानदारों और दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा जेनेरिक दवाओं को जाली दवा या पटनिया दवा के रूप में प्रचारित करते हैं। तो वही समस्तीपुर के सिविल सर्जन, – डॉ सतेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि कुछ दिन पूर्व ही जिला में योगदान दिया हूं। जन औषधि केंद्र नहीं होने की जानकारी मिली है।
जेनेरिक दवा संबंधित संचिका का अध्ययन कर रहा हूं। सरकार की योजना का लाभ गरीबों को मिले इसके लिए जल्द जन औषधि केंद्र खोले जाने की दिशा में कार्य करेंगे। इस कारण गरीबों को बाजार से ब्रांडेड कंपनी की महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है। इससे उनके जेब पर बोझ बढ़ गया है। स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार का दावा, 24 घंटे अस्पतालों में डॉक्टर का दम भड़ने वाले राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों से जनता सवाल पूछ रही है। कहां है सस्ती दवा की दुकानें। मालूम हो कि जिले में तकरीबन 1500 सौ दवा की थोक व खुदरा दुकानें हैं। जबकि गांव-देहातों में इससे भी ज्यादा गैर लाइसेंसी दवा दुकान संचालित हैं।